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यूपी: इस परिषदीय स्कूल के बच्चों की किताबें बेंचकर केला खा गए प्रधानाध्यापक साहब, फिर ऐसे खुला यें राज, आइए जानें कहां का है मामला

"यूपी के फतेहपुर जिले से बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने का मामला आया सामने, यहां एक मास्टर साहब बच्चों की पढ़ाई के लिए आईं किताबों को बेचकर खा गए केला"

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फतेहपुर (ब्यूरो, उत्तर प्रदेश)। यूपी के ज्यादातर स्कूल ऐसे हैं, जहां अभी तक बच्चों को पढ़ने के लिए किताबें नहीं मिली हैं, वह बिना किताबों के ही पढ़ाई करने को मजबूर हैं। लेकिन प्रदेश का एक स्कूल ऐसा भी जहां इसी सत्र की किताबें तो थीं, लेकिन उन्हे मास्टर साहब बेंचकर केला खा गए। यह स्कूल है विजयीपुर ब्लाक के अन्तर्गत एक प्राथमिक विद्यालय का। यहां के प्रधानाध्यापक ने बच्चों की किताबों को बेंच डाला। मास्टर साहब ने गांव पहुंचे कबाड़ के बदले केला बेंचने वाले फेरी दुकानदार को 20 किग्रा पुस्तकें तौल दीं। गांव के अंदर पहुंचे दुकानदार के पास से इसी सत्र की नई पुस्तकें देखकर शिक्षित ग्रामीण नें उसे रोक लिया तब जाकर मामला प्रकाश में आया। मामला ब्लाक क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय चितनपुर मजरे गढ़ा का है। जहां के प्रधानाध्याक हरिशंकर मिश्रा को बच्चों को दी जाने वाली निःशुल्क पुस्तकों को भी बेंचने में कोई गुरेज नहीं रहा। इन्होंने नौनिहालों को बांटने के लिए विद्यालय में रखी नये सत्र की पुस्तकों को केला बेचने वाले कबाड़ी को तौल दिया। बदले में मास्टर साहब ने केला तौला लिया।

मामले का खुलासा तब हुआ जब ग्रामीणों ने कबाड़ी के बोरी में नए सत्र की नई पुस्तकें देखा और उससे पूछताछ की। कबाड़ी ने बताया कि गांव के विद्यालय में रह रहे प्रधानाध्यापक हरिशंकर मिश्र ने इन पुस्तकों को देकर बदले में केला लिया है। गांव के फूलचंद्र पाल, दयाराम पाल, प्रदीप द्विवेदी, अनूप कुमार द्विवेदी, राजमोहन, सुशील द्विवेदी आदि ने कबाड़ी को पुस्तकों के साथ लेकर प्रधानाध्यापक के पास विद्यालय पहुंचे तो वह ताला लगाकर भाग निकले। मामला उच्चाधिकारियों के पास पहुंचा तो बेसिक शिक्षा विभाग में हड़कम्प मच गया। गांव के प्राथमिक विद्यालय में 14 वर्ष पूर्व तैनाती हुई थी। तब से यह इसी विद्यालय को ही अपना आवास बना कर रह रहे हैं। सवाल यह उठता है कि स्कूल परिसर में ही आवास बनाने का मामला विभागीय अधिकारियों के संज्ञान में क्यों नहीं रहा। ग्रामीणों ने सवाल उठाया कि क्या स्कूल को आवास बनाया जा सकता है। ग्रामीणों ने जब कबाड़ी दुकानदार से पूछताछ की तो  उसने बताया कि रविवार को मास्साब ने 20 किग्रा पुस्तकें देकर केला खरीदा है।

इसके पूर्व भी वह करीब 50 किग्रा किताबें तौली थी। उसने बताया कि हमारा तो काम ही कबाड़ खरीदना, अब क्या पता था कि यह जरुरी किताबें हैं। विद्यालय के आंकड़ों पर एक नजर डालें तो यहां 02 शिक्षकों की तैनाती है वहीं 71 छात्र छात्राओं का स्कूल में पंजीयन हैं। आरोपी प्रधानाध्यापक हरिशंकर मिश्र से जब मोबाइल पर सम्पर्क किया गया तो उन्होंने लपटती जुबान से बताया हमने पुस्तके नहीं बेंची हैं, कुछ पुस्तकें अभी रखी हैं। पूरी बात बताए बिना ही फोन काट दिया। वहीं इस मामले में विजयीपुर खंड शिक्षाधिकारी रजनीश श्रीवास्तव ने बताया कि बेहद शर्मनाक और गंभीर प्रकरण है। सोमवार को मामले की जांच की जाएगी। सत्यता मिलने पर प्रधानाध्यापक के खिलाफ सख्त कार्यवाही तय है। बीएसए संजय कुमार कुशवाहा ने बताया कि मामला संज्ञान में आया है। एक एक पुस्तक का लेखा जोखा बीआरसी में रहता है। खंड शिक्षाधिकारी को जांच करने के लिए कहा गया है, सोमवार को रिपोर्ट आते ही कार्यवाही तय की जाएगी।

रिपोर्ट- फतेहपुर डेस्क

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