"राम विवाह एवं राम बनवास का प्रसंग सुन श्रोता हुए भाव विभोर, इस दौरान भगवान राम व सीता की सजाई गई सजीव झांकी, संगीतमय भजन सुन श्रद्धालु हुए मंत्र-मुग्ध"
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रतसर (बलिया, उत्तर प्रदेश)। स्थानीय नगर पंचायत अन्तर्गत बीका भगत के पोखरा स्थित शिव मन्दिर परिसर में चल रहे श्रीराम कथा महायज्ञ के छठवें दिन बुद्धवार को कथा व्यास मुनीश महाराज ने राम-विवाह व राम वनवास का प्रसंग सुनाया। कथा में राम- विवाह एवं राम बनवास का प्रसंग सुन श्रोता भाव विभोर हो गए। इस दौरान भगवान राम व सीता की सजीव झांकी सजाई गई तथा संगीतमय भजनों पर महिला श्रद्धालु मंत्र-मुग्ध होकर झुमने लगी। कथा वाचक मुनीश महाराज ने कहा कि, प्रभु की कृपा के लिए भक्ति की आवश्यकता है। भगवान श्रीराम ने शिव धनुष तोड़ा। धनुष टूटते ही भगवान परशुराम क्रोधित हो उठे और भरे स्वयंवर में श्रीराम पर भड़क उठे क्योंकि इस सीता स्वयंवर में प्रतिज्ञा थी कि जो इस धनुष को तोड़ देगा उसकी शादी सीता से होगी। परशुराम इतने आक्रोश में थे कि उन्होंने जैसे ही श्रीराम पर वार करने के लिए फरसा उठाया। इसी बीच लक्ष्मण अपने बड़े भाई श्रीराम के बचाव में उतर आए और काफी समय तक परशुराम लक्ष्मण संवाद हुआ।
श्रीराम ने गुरुवर परशुराम से क्षमा याचना करते हुए उन्हें शांत करने का प्रयास किया और उन्हें बताया कि उनके सामने धनुष को तोड़ना एक चुनौती थी। परशुराम ने कहा कि जो धनुष तुमने तोड़ा है वह धनुष भगवान शिव का है। धनुष तोड़ने के बाद भरी सभा में भगवान राम ने माता सीता को वरमाला पहनाकर विवाह रचाया। मंच पर जैसे ही भगवान श्रीराम ने वरमाला डाली पूरा पंडाल जय श्रीराम के जयकारों से गूंज उठा। मंत्रोच्चार के बीच भगवान के विवाह का कार्य सम्पन्न हुआ। श्रद्धालुओं की भीड़ ने पुष्पवर्षा की। कथावाचक ने भगवान के विवाह से लेकर पिता की आज्ञा मानकर चौदह वर्ष के वनवास का प्रसंग सुनाया। कथा में जैसे ही राम वनवास का प्रसंग आया वैसे ही श्रोत्राओं की आंखे नम हो गई। उन्होंने कहा कि मनुष्य को कभी दौलत और अपनी ताकत पर घमंड नहीं करना चाहिए। रावण को अपनी ताकत पर बहुत घमंड था लेकिन घमंड तो रावण का भी नहीं टिका तो आम मनुष्य क्या चीज है। कथा में रोजाना बड़ी संख्या में महिला-पुरुष श्रद्धालु कथा श्रवण करने पहुंच रहे हैं।
रिपोर्ट- संवाददाता अभिषेक पाण्डेय