"वेदपाठी आचार्यो द्वारा वैदिक मंत्रोच्चार के बीच अरणि मंथन, पंचाग पूजन व कराया गया मण्डप प्रवेश, सबसे पहले काष्ठ को मथकर मंत्रों से पैदा की गई अग्नि"
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रतसर (बलिया, उत्तर प्रदेश)। स्थानीय कस्बा स्थित बीका भगत के पोखरे पर श्रीराम कथा महायज्ञ शुक्रवार को वैदिक मंत्रोच्चार के साथ वातावरण की गूंज से गुंजायमान व आबाद हो गया। अयोध्या से पधारे आचार्य संतोष कृष्णम महाराज एवं संकल्प महाराज के सानिध्य में एक दिन पूर्व कलश यात्रा से यह धर्मायोजन शुरू हुआ था। दूसरे दिन वेदपाठी आचार्यो द्वारा वैदिक मंत्रोच्चार के बीच अरणि मंथन, पंचाग पूजन व मण्डप प्रवेश कराया गया। सबसे पहले काष्ठ को मथकर मंत्रों से अग्नि पैदा की गई तथा हवन कुंड में जागृत किया गया। विशाल यज्ञशाला के पश्चिम द्वार पर प्रधान यजमान द्वारा पंचाग पूजन के तहत यज्ञाचार्य, ब्रह्मा व ब्राह्मणों को वरण किया गया। फिर यज्ञशाला की परिक्रमा के साथ आचार्य, ब्रह्मा व यजमान मंडप में प्रवेश किए तथा मंत्रोच्चार के साथ हवन यज्ञ प्रारम्भ किए। यज्ञ परिसर में निर्मित विशाल व भव्य पंडाल में दिन भर प्रवचन का कार्यक्रम जारी रहा। शाम को प्रवचन में अयोध्या धाम से पधारे मुनीश महाराज द्वारा शिव आराधना की महिमा का गुणगान किया गया।
उन्होंने अपनी कथा में बताया कि राजा दक्ष के यज्ञ का आरम्भ हो गया था। देवता पत्नियों के साथ विमान से आकाश मार्ग से यज्ञ के लिए जा रहे थे। सती द्वारा भी यज्ञ में जाने का हठ किया गया। शिवजी ने कहा कि "विनु नेवते जहं जाय भवानी, रहे न शील स्नेह न कानी" इतने के बाद भी सती जी के हठ को देखकर शिवजी सती के साथ यज्ञ में पहुंचे। वहां शिवजी का अपमान हुआ। इससे आहत सती हवन कुंड में कूदकर अपना प्राण त्याग दी। इसका पता जब शिवजी को लगा तो वह बहुत दुखी हुए और जटा से एक बाल तोड़कर पृथ्वी पर पटक दिए। इससे वीरभद्र पैदा हुए और उन्होंने जाकर पूरे यज्ञ को नष्ट कर दिया। इस अवसर पर कुंज प्रताप सिंह, पियुष प्रताप सिंह, नन्दू सिंह, पवन सिंह, अरविन्द शर्मा, गोलू शर्मा, पंकज यादव, मनु यादव, विकास सिंह, निप्पू सिंह, श्रीभगवान सिंह व अंजनी सिंह आदि मौजूद रहे।
रिपोर्ट- संवाददाता अभिषेक पाण्डेय