"यूपी बेसिक शिक्षा विभाग के परिषदीय स्कूलों में 2014 के बाद तैनात शिक्षकों की सैलरी से हर महीने बेवजह कट रहे हैं 87 रुपए, कुल मिलाकर शिक्षकों की सैलरी से कट रहे हैं करीब डेढ़ करोड़ रुपए"
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प्रयागराज (ब्यूरो, उत्तर प्रदेश)। यूपी के प्राइमरी शिक्षकों के वेतन से हर महीने 87 रुपए की कटौती किसलिए हो रही है इस पर नया खुलासा हुआ है। पता चला है कि एक अप्रैल 2014 के बाद नियुक्त शिक्षक और कर्मचारी हर महीने अपने वेतन से 87 रुपए की राशि बेवजह कटवा रहे हैं। यह राशि कुल मिलाकर करीब पौने दो करोड़ रुपए के आसपास की होती है। जबकि एलआईसी शिक्षक एवं शिक्षणेत्तर कर्मचारियों की सामूहिक जीवन बीमा पालिसी संख्या क्रमश: 4521 व 116846 को 31 मार्च 2014 में ही बंद कर चुकी है। 31 मार्च 2014 से पहले नियुक्त शिक्षक तो इस योजना से आच्छादित हैं, लेकिन उसके बाद नियुक्त शिक्षकों और कर्मचारियों को कवर न मिलने के बावजूद उनके वेतन से कटौती जारी है। अब बेसिक शिक्षा परिषद के वित्त नियंत्रक रवीन्द्र कुमार ने प्रदेश के सभी जिलों में बेसिक शिक्षा के वित्त एवं लेखाधिकारियों से 31 मार्च 2014 के पहले और बाद में नियुक्त शिक्षकों और कर्मचारियों की सूचना मांगी है। देखा जाए तो हर शिक्षक के खाते से हर महीने 87 रुपये की कटौती होती है।
यदि प्रदेश भर के डेढ़ लाख से अधिक परिषदीय प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों में वर्तमान में कार्यरत 4.5 लाख से अधिक शिक्षकों में से दो लाख शिक्षक भी एक अप्रैल 2014 के बाद नियुक्त मान लिए जाएं तो ये शिक्षक सरकार को 87 रुपये के हिसाब से सरकार को प्रतिमाह तकरीबन पौने दो करोड़ बेवजह दे रहे हैं। क्योंकि एक अप्रैल 2014 के बाद नियुक्त शिक्षक के निधन पर न तो बीमा की राशि एक लाख रुपये मिलती है और न ही परिजनों को कटौती के रूप में दिए गए रुपयों की वापसी होती है। वहीं देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तव, जिलाध्यक्ष प्राथमिक शिक्षक संघ का कहना है कि 31 मार्च 2014 के बाद से सामूहिक बीमा योजना बंद है लेकिन कटौती हो रही है। कई बार अधिकारियों से कटौती बंद करने का अनुरोध किया लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही। 31 मार्च 2014 के बाद नियुक्त शिक्षकों से जितने रुपये लिए गए हैं उन्हें ब्याज के साथ लौटाया जाए।
रिपोर्ट- प्रयागराज डेस्क