"स्टीकर लगे फलों की धड़ल्ले से हो रही है बिक्री, खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग के आला अधिकारी बस चेकिंग का कर रहे हैं कोरम पूरा"
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बलिया (ब्यूरो, उत्तर प्रदेश)। प्रदेश सरकार की ओर से प्रतिबंध लगाए जाने के तीन साल बाद भी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक स्टीकर लगे फलों की धड़ल्ले से बिक्री हो रही है। खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग के आला अधिकारी बस चेकिंग का कोरम पूरा कर रहे हैं। अफसरों की इसी खानापूर्ति का फायदा दुकानदार उठा रहे हैं। वर्ष 2018 में प्रदेश सरकार ने स्टीकर लगे फलों को स्वास्थ्य के लिए हानिकारक मानकर इनकी बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया था। स्टीकर लगे फल बेचने वाले दुकानदारों पर मुकदमा और दो लाख तक का जुर्माना लगाने का प्रावधान किया गया है। हालांकि जिले में खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग ने शासनादेश को हवा में उड़ा रखा है। वर्तमान समय में बड़ी और छोटी मंडियों में दुकानदार स्टीकर लगे फलों की धड़ल्ले से बिक्री कर रहे हैं। बड़ी दुकानों में तो हर फल में स्टीकर चिपका नजर आता है। स्टीकर लगाने के पीछे अच्छी क्वालिटी का फल दिखाने की मंशा होती है, जबकि फल पर लगे स्टीकर के गोद में हानिकारक रसायन पदार्थ मिला होता है, जो स्वास्थ्य के लिए बहुत ही खतरनाक साबित होता हैं।
जानकारों की मानें तो पूर्व में हुई जांच में यह पाया गया था कि स्टीकर को चिपकाने के लिए प्रयोग किए जाने वाले केमिकल (गोंद) में हानिकारक रसायन होते हैं। वह धूप पड़ने पर फलों के गूदे तक में प्रवेश कर जाते हैं। बाद में स्टीकर हटाने पर भी इसका प्रभाव बना रहता है। जानकार बताते हैं कि विदेशों में जो फल बिकता है, उसमें एक पतली पॉलिथीन चढ़ाकर फिर उस पर स्टीकर चिपकाया जाता है। इसके पीछे फल को आर्गेनिक और क्वालिटी अच्छी होना दर्शाया जाता है। विदेशों की नकल यहां के दुकानदार करते हैं, लेकिन वह पॉलिथीन न चढ़ाकर सीधे फल पर ही स्टीकर चिपका देते हैं। इससे स्टीकर को चिपकाने के लिए लगने वाला गोंद सीधे फल पर लग जाता है। वहीं इस संबंध में दीपक कुमार श्रीवास्तव, मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी, बलिया नें बताया कि स्टीकर लगे फलों की बिक्री को पूर्ण रूप से रोकने के लिए अगले सप्ताह से सघन अभियान चलाया जाएगा। साथ ही उपभोक्ताओं को इसके दुष्प्रभाव के बारे में भी बताया जाएगा।
रिपोर्ट- बलिया ब्यूरो लोकेश्वर पाण्डेय