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कोरोना का कहर: बढ़ रहीं मौतों के चलते गुजरात के इस शहर में श्मशान घाट पर लगीं शिक्षकों की ड्यूटी, शवों का रखेंगे पूरा हिसाब किताब

"24 घंटे अपनी ड्यूटी में तैनात रहेंगे शिक्षक, शिफ्ट में लगी ड्यूटी, शवों की आवश्यक जानकारी रजिस्टर में करेंगे दर्ज"

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सूरत (ब्यूरो, गुजरात)। वैश्विक महामारी कोरोना से भारी संख्या में होने वाली मौतों की तादाद बड़ी तेजी से बढ़ रही है। कई जगहों पर गड़बड़ी और शवों की अदला बदली जैसी शिकायतें भी मिल रही है। इसी बीच सूरत नगर निगम ने एक अजीब आदेश जारी किया है। ऐसे में शिक्षक पहलें ही न जाने कितनो ड्यूटी करते आ रहे है, अब उसमे एक और ड्यूटी जुड़ गई है। नगर निगम द्वारा जारी आदेश अनुसार अब शिक्षक शमशान घाट में शवों का हिसाब किताब रखेंगे। शिक्षक अलग अलग शिफ्ट में पुरे 24 घंटे शमशान घाट में उपस्थित रहेंगे और शवों की आवश्यक जानकारी रजिस्टर में दर्ज करेंगे। दरअसल कोरोना पॉजिटिव की वजह से मरने वालो की संख्या में भारी वृद्धि हुई है। शवों को उनके परिजनों को नहीं दिया जा रहा है। शवों को सीधे शमशान भेजा जा रहा है। शवों की अदला बदली या गलतफहमी न हो इस लिए शिक्षकों की ड्यूटी लगाई गई है। प्रशासन के मुताबिक सूरत में कोरोना से मरने वालों की संख्या महज 10 - 12 है। लेकिन हकीकत में यहाँ कोरोना प्रोटोकॉल के तहत प्रतिदिन 100 से अधिक शवों का कोरोना प्रोटोकॉल के तहत अंतिम संस्कार किया जा रहा है।

शमशान में लम्बी कतार और अफरा तफरी का माहौल देखा जा सकता है। सूरत के उम्र शमशान में महज 4 घंटे में ही 40 शव अंतिम संस्कार के लिए पहुंचे थे। कोरोना वालों की संख्या अधिक होने के कारण शमशान घाट के अंतिम संस्कार हेतु वेटिंग बढ़ने के कारण आसपास के अन्य शमशान घाट में भी शवों को भेजा जा रहा। प्रशासन ने सूरत के अलावा बारडोली में भी शवों  संस्कार करवा रहे है। नगर ने इससे पहले शिक्षकों की कन्टेनमेंट जोन के बाहर और मास्क बांटने में भी शिक्षकों की ड्यूटी लगाईं थी। शिक्षक कन्टेनमेंट जोन के बाहर निगरानी का काम करते थे। इसके अलावा धन्वन्तरी रथ के साथ अनाज, भोजन, मास्क वितरण के भी कार्य कियें हैं। आये दिन समाचार पत्रों, चैनलों के माध्यम से इस प्रकार की शिक्षकों की ड्यूटी की अजीबो गरीब ड्यूटी का मामला देखने सुनने को मिलते रहता है। शमशान घाट में शवों हिसाब रखने वाले ड्यूटी आदेश जारी होते ही शिक्षक संगठन ने आदेश रद्द करने की मांग शुरू कर दी है। शिक्षक अपने मूल दायित्व शिक्षा देने के अलावा हमेशा शासन प्रशासन के आधे कार्य  करते आ रहे है। 

रिपोर्ट- सूरत डेस्क

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