शिक्षा मंत्रालय वैसे भी स्कूलों में शिक्षकों के खाली पदों को भरने के लिए विगत कई वर्षों से राज्यों पर लगातार बनाए हुए है दबाव, इसका असर यह रहा है कि कई राज्यों में पहले से स्थिति में हुआ है सुधार, लेकिन अभी भी बिहार उत्तर प्रदेश मध्य प्रदेश झारखंड गुजरात बंगाल छत्तीसगढ़ जैसे राज्य ऐसे हैं जहां शिक्षकों के बड़ी संख्या में पद हैं रिक्त
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पदों को जल्द भरने के लिए मंत्रालय का आग्रह
नई दिल्ली (ब्यूरो डेस्क)। देश भर के स्कूलों में नए शैक्षणिक सत्र से नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत तैयार नई पाठ्य पुस्तकों को पढ़ाने की तैयारी के बीच शिक्षा मंत्रालय ने राज्यों से शिक्षकों के खाली पदों को जल्द भरने के लिए कहा है।
आठ लाख से अधिक पद अभी भी खाली
मंत्रालय ने राज्यों से यह आग्रह उस समय किया है, जब देश में पहले के मुकाबले स्कूलों में शिक्षकों की संख्या में सुधार हुआ है, लेकिन अभी भी आठ लाख से अधिक पद खाली हैं। इनमें सबसे अधिक पद प्राइमरी स्तर पर पढ़ाने वाले शिक्षकों के हैं, जिनकी संख्या करीब सात लाख है।
मंत्रालय ने राज्यों को रिक्त पद भरने के दिए निर्देश
शिक्षा मंत्रालय वैसे भी स्कूलों में शिक्षकों के खाली पदों को भरने के लिए विगत कई वर्षों से राज्यों पर लगातार दबाव बनाए हुए है। इसका असर यह रहा है कि कई राज्यों में पहले से स्थिति में सुधार हुआ है। लेकिन, अभी भी बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, झारखंड, गुजरात, बंगाल, छत्तीसगढ़ जैसे राज्य ऐसे हैं, जहां शिक्षकों के बड़ी संख्या में पद रिक्त हैं।
छात्र-शिक्षक अनुपात को भी ठीक रखने के निर्देश
प्राइमरी स्तर पर सबसे अधिक सात लाख पद रिक्त हैं। मंत्रालय ने राज्यों को शिक्षकों के खाली पदों को भरने के लिए लिखी चिट्ठी में राज्यों से प्रत्येक स्कूल में छात्र-शिक्षक अनुपात को भी ठीक रखने के निर्देश दिए हैं। मंत्रालय का कहना है कि इससे स्कूलों में शिक्षा का स्तर बेहतर हो सकेगा। साथ ही राज्य के प्रदर्शन में भी सुधार दिखेगा।
शिक्षकों की स्थिति में सुधार प्राइमरी स्तर पर
वर्ष खाली पद
2021-22 10.37 लाख
2022-23 8.92 लाख
2023-24 7.22 लाख
सेकेंडरी स्तर पर
2021-22 1.29लाख
2022-23 1.32 लाख
2023-24 1.24 लाख
किस राज्य में शिक्षकों के कितने पद खाली
प्राइमरी स्तर पर राज्य खाली पद ( लाख में)
बिहार 1.92
उत्तर प्रदेश 1.42
मध्य प्रदेश 52 हजार
झारखंड. 75 हजार
छत्तीसगढ़ 38 हजार
सेकेंडरी स्तर पर
बिहार 32 हजार
उत्तर प्रदेश 7 हजार
मध्य प्रदेश 15 हजार
झारखंड 5 हजार
रिपोर्ट- नई दिल्ली ब्यूरो डेस्क