"स्तनपान को बढ़ावा, शिक्षा एवं सहयोग थीम के साथ एक अगस्त से सात अगस्त तक मनाया जायेगा विश्व स्तनपान सप्ताह"
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बलिया (ब्यूरो, उत्तर प्रदेश)। नवजात के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए इस वर्ष विश्व स्तनपान सप्ताह स्तनपान को बढ़ावा, शिक्षा एवं सहयोग थीम के साथ एक अगस्त से सात अगस्त तक मनाया जायेगा। इसका उद्देश्य शिशु के जन्म के पहले घंटे के अंदर मां का पहला गाढ़ा दूध पिलाने, छह माह तक सिर्फ स्तनपान कराना, कंगारू मदर केयर एवं गृह आधारित नवजात की देखभाल (एचबीएनसी) के बारे में जागरूक करना और उनको प्रेरित करना है। अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी (आरसीएच) डॉ० सुधीर कुमार तिवारी ने बताया कि स्तनपान सप्ताह को मनाने के लिए विभाग को दिशा निर्देश जारी कर दिए गए हैं। उन्होने बताया कि शिशु के सर्वांगीण विकास में स्तनपान की संपूर्ण प्रक्रिया को तीन महत्त्वपूर्ण संदेशों में देखा जाता है। पहला जन्म के एक घंटे के भीतर माँ का पहला गाढ़ा दूध पिलाना, दूसरा छह माह तक शिशु को सिर्फ स्तनपान कराना और तीसरा दो वर्ष तक बच्चे को पूरक आहार के साथ स्तनपान कराना एवं दो वर्ष पूरे होने तक स्तनपान जारी रखना। एक से सात अगस्त तक विश्व स्तनपान सप्ताह के तहत जागरूकता कार्यक्रम कराने के शासन से निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने बताया कि नवजात को कुपोषण से बचाने के लिए जन्म के एक घंटे के भीतर नवजात को स्तनपान प्रारंभ कराया जाए। छह माह तक केवल स्तनपान कराया जाए और शिशु के छह माह पूरे होने पर संपूरक आहार देना प्रारंभ किया जाए।
स्तनपान कराने से कई बीमारियों से बचा जा सकता है। डॉ० तिवारी ने बताया कि स्तनपान स्तन कैंसर से होने वाली मृत्यु को भी कम करता है। वहीं जिन शिशुओं को जन्म के एक घंटे के अंदर स्तनपान नहीं कराया जाता है। उनमें नवजात मृत्यु दर की संभावना 33 फीसदी अधिक होती है। उन्होंने बताया कि नवजात को कुपोषण से बचाने के लिए जन्म के एक घंटे के भीतर स्तनपान प्रारंभ करें। छह माह तक केवल स्तनपान कराएं और छह माह पूरे होने पर संपूर्ण आहार दें। इस अभियान के लिए आशा आंगनबाड़ी कार्यकर्ता घर घर जाकर सभी धात्री महिलाओं और परिजनों को जन्म के पहले घंटे के अंदर और छह माह तक सिर्फ स्तनपान के लिए जागरूक और प्रेरित करेंगी। कोविड अभी पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है तो साफ-सफाई, हाथ धोना, दूध पिलाते समय नाक और मुंह पर मास्क लगाने जैसी बातों का विशेष ख्याल रखें। स्तनपान से माँ और शिशु को होने वाले फायदे की बात करें तो मां का दूध शिशु के लिए अच्छा और सम्पूर्ण आहार होता है। माँ और शिशु के बीच में भावनात्मक जुड़ाव पैदा होता है। दूध में पाया जाने वाला कोलेस्ट्रम शिशु को प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करता है। शिशु को विभिन्न बीमारियों से बचाता है। प्रसवोपरांत अत्यधिक रक्तस्राव का खतरा कम हो जाता है। स्तन कैंसर, गर्भाशय कैंसर तथा अंडाशय के कैंसर के खतरे कम हो जाते हैं। शिशु की शारीरिक और मानसिक वृद्धि में बेहतर विकास होता है।
रिपोर्ट- बलिया डेस्क