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यूपी: पोषण के साथ स्वरोजगार की पहल, कुम्हारों को मिला रोजगार तो इन शहरियों के मुंह लग गया दही, पढ़ें यें अनोखी पहल

"कोविड काल में सामाजिक कार्यकर्ता अमित ने की अनोखी पहल, कुम्हारों की हुई आमदनी तो दूसरी ओर शहरियों को मिलने लगी शुद्ध दही"

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गोरखपुर (ब्यूरो, उत्तर प्रदेश)। कोविड काल में जब काम धंधे बंद हो गये थे तब सामाजिक कार्यकर्ता अमित सिंह पटेल ने एक अनोखी पहल की। उनका यह प्रयास पोषण व इम्युनिटी के साथ- साथ स्वरोजगार के लिए कारगर साबित होने लगा है। एक तरफ कुम्हारों की आमदनी हुई तो दूसरी ओर शहरियों को शुद्ध दही मिलने लगी। अमित ने ‘‘दही मुंह लग गया’’ नाम से पहली बार गोरखपुर जैसे शहर में 11 फ्लेवर के साथ मिट्टी हांडी दही तैयार कर शहरियों को बांटना शुरू किया । इसके दो फायदे हुए हुए। एक तो पैकेज्ड दही की तुलना में स्वास्थ्यप्रद दही लोगों को मिलने लगी तो दूसरी ओर कुम्हारों की रोजाना 15 से 20 हांडी बिकने लगी। इसी साल 15 मई को विश्व परिवार दिवस के अवसर पर इसकी शुरुआत की गयी। इस पहल से करीब 400 से अधिक दही हांडी की बिक्री हो चुकी है और कुम्हारों के चेहरे पर मुस्कान आयी है। अमित सिंह पटेल का कहना है कि अभी यह शुरूआती दौर है लिहाजा सिर्फ दो कुम्हारों से हांडी खरीदी जा रही है। प्रयास है कि डिमांड बढ़ने के साथ और भी कुम्हारों को जोड़ा जाएगा । अगर शहर के लोग पैकेज्ड दही के जगह हांडी दही का इस्तेमाल करेंगे तो उन्हें भरपूर पोषण मिलेगा और इम्युनिटी भी बढ़ेगी।

साथ ही कुम्हारों की आय बढ़ेगी । जागरूक गोरखपुर (जागो) गोरखपुर मुहिम से जुड़े रहे अमित सिंह पटेल कोविड काल के दौरान कई डिजिटल चर्चाओं के जरिये लोगों के बीच कोविड उपयुक्त व्यवहार के प्रति जनजागरूकता लाने की कोशिश से भी जुड़े रहे हैं। अमित ने कोविड के दौर में जब इस अभिनव प्रयास के बारे में सोचा तो उनका साथ दिया सहयोगी दीया वर्मा ने। अमित शहर में मार्केटिंग करते हैं तो पासपोर्ट ऑफिस के निकट रहने वाली दीया का परिवार सभी गायों की देखरेख में योगदान देता है। डिजिटल प्लेटफार्म वाट्स एप के जरिये आर्डर लिये जाते हैं और फिर आर्डर के मुताबिक हांडी खरीद कर दही जमाई जाती है और संबंधित को दी जाती है। कोविड काल में एक हांडी से कुम्हार को 50 रुपये की आमदनी हो जाती है, जबकि सामान्य दिनों में हांडी की कीमत 30 रुपये होती है। अमित का कहना है कि लॉकडाउन में सभी लोग घरों में बंद थे। ऐसे में यह प्रयोग शुरू करने के बाद सबसे पहले दोस्तों के वाट्सएप ग्रुप में साझा किया। एक- एक कर कई दोस्तों के परिवार ने आर्डर किया और दही को सराहा।

धीरे- धीरे कर एक महीने के भीतर 400 से अधिक हांडी का इस्तेमाल हो गया। अगर इसी प्रकार डिमांड बढ़ी तो गायों, उसकी देखरेख करने वालों और हांडी की डिमांड भी बढ़ेगी जिससे और लोगों को रोजगार मिलेगा। अमित ने बताया कि शहर में हांडी दही की डिमांड बढ़ाने के लिए उसे फ्लेवर दिया गया। बटरस्कॉच, मैंगो, रूह-आफजा, रेगुलर, कैरामल, जैगरी, भुना जीरा, केसर बादाम, मिक्स ड्राई फ्रूट, स्ट्राबेरी, चेरी- मेरी समेत दर्जन भर फ्लेवर के कारण लोग दही को अत्यधिक पसंद कर रहे हैं। पद्मिनी शुक्ला, आहार परामर्शदाता, बीआरडी मेडिकल कालेज कहतीं हैं कि शुद्ध दही का सेवन बेहद फायदेमंद है। इसमें प्रोटीन, कैल्शियम, विटामिन बी-6 और विटामिन 12 समेत कई पोषक तत्व पाए जाते हैं। एक कप दही में 98 कैलोरी उर्जा और 11 ग्राम प्रोटीन पाया जाता है। दही का सेवन कभी भी अकेले नहीं करना चाहिए। इसका सेवन चीनी या नमक के साथ अथवा भोजन में मिश्रित करके करना चाहिए। यह कई बीमारियों से बचाव में मददगार है।

रिपोर्ट- गोरखपुर डेस्क

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