"सांप काटने के बाद घरवालों के अंधविश्वास के चक्कर में पड़ने से बच्ची को गंवानी पड़ी अपनी जान, पिता द्वारा मृत बेटी को फिर से जिंदा करने की चाह में लाश को घर में रखकर कर रहा था इलाज"
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कोलकता (ब्यूरो, वेस्ट बंगाल)। अंधविश्वास के चक्कर में फंस कर एक पिता द्वारा अपनी मृत बेटी को फिर से जिंदा करने की चाहत में उसकी लाश को घर में रखकर इलाज किए जाने की घटना सामने आई है। सोमवार को हुगली जिले के पांडुआ के खन्यान स्थित मूलटी गांव में जैसे ही ग्रामीणों को यह सूचना मिली, हड़कंप मच गया। स्थानीय लोगों द्वारा सूचना दिए जाने के बाद पुलिस मौके पर पहुंची और बच्ची की लाश को घर से निकाल पर पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल भेजा। मिलीं जानकारी के अनुसार पिछले हफ्ते बुधवार को इस गांव के रहने वाले राजू सोरेन की नौ साल की बेटी को सांप ने काट लिया था। आनन- फानन में बच्ची के घरवाले उसे खन्यान प्राथमिक अस्पताल ले गए। इसके बाद राजू ने बेटी को चुंचुड़ा इमामबाड़ा अस्पताल में भर्ती कराया। आरोप है कि यहां इलाज के बाद बेटी के कुछ ठीक होने पर राजू ने डॉक्टरों पर दबाव डालकर उसे अस्पताल से घर ले आए। घर आने के बाद बच्ची की तबीयत फिर बिगड़ गई।
इसके बाद राजू एक कविराज के यहां से दवा लाकर उसका इलाज करने लगा। अंत में बच्ची के पिता उसे एक ओझा के पास ले गया। ओझा की झाड़- फूक के जरिए राजू ने उसे ठीक करना चाहा। इस बीच शनिवार की रात घर पर ही बच्ची ने दम तोड़ दिया। आरोप है कि इसके बाद भी अंधविश्वास में फंस कर राजू मृत बेटी को घर में ही रखकर सलाईन चढ़ाकर उसे फिर से जीवित करने के लिए इलाज कर रहा था। इस बीच सोमवार को राजू के पड़ोस में रहने वाले लोगों को उसके घर से बदबू का एहसास हुआ। इसके बाद लोगों ने इसकी जानकारी पुलिस को दी। राजू सोरेन का कहना है कि आदिवासी समाज में कई पद्धतियों से इलाज किया जाता है। वहीं मैं कर रहा था। इधर, पुलिस का प्राथमिक अनुमान है कि अंधविश्वास के चक्कर में ही बच्ची को अपनी जान गंवानी पड़ी है। पुलिस घटना की विस्तृत तहकीकात कर रही है।
रिपोर्ट- कोलकता डेस्क