बलिया (ब्यूरों) स्वतंत्रता संग्राम के महानायक स्वतंत्र बलिया प्रजातंत्र के प्रथम शासनाध्यक्ष शेर-ए- बलिया चित्तू पाण्डेय की 126वीं जयंती शेरे चित्तू पाण्डेय स्मारक समिति के तत्वावधान में 10 मई दिन रविवार को सोशल डिस्टेनसिंग का पालन करते हुए मनाई गई। इस अवसर पर चित्तू पाण्डेय की प्रतिमा पर विशिष्टजनों द्वारा माल्यार्पण किया गया तथा अमर रहे का उद्घोष भी किया गया। बताते चले कि चित्तू पाण्डेय का जन्म बलिया जिले के रट्टूचक गांव में 10 मई 1865 को हुआ था। जिन्होंने 1942 में स्थानीय लोगों के सहयोग से फौज बना कर अंग्रेजों को खदेड़ दिया तथा 19 अगस्त 1942 को वहाँ स्थानीय सरकार बनी तथा चित्तू पाण्डेय स्वतंत्र बलिया के प्रथम कलेक्टर बने और कुछ दिनों तक बलिया में उनका शासन भी चला।
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चित्तू पाण्डेय की मृत्यु 6 दिसंबर 1946 को हुई थी। चित्तू पाण्डेय के साहस व नेतृत्व क्षमता का लोहा अंग्रेजी शासन भी मानता था। स्वतंत्रता संग्राम में जहां ब्रितानी शासन का सूर्य अस्त नहीं होता था वही पाण्डेय जी ने स्वतंत्रता का बिगुल फूंका। इस अवसर पर चंद्रशेखर पाण्डेय ने कहा कि चित्तू पाण्डेय भारत के स्वतंत्रता संग्राम के सच्चे सेनानी थे। उन्हें बलिया के "शेर" के नाम से जाना जाता है। उन्होंने 1942 में बलिया में अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उनके द्वारा बनायी गयी सरकार बलिया के कलेक्टर को सत्ता त्यागने एवं सभी गिरफ्तार कांग्रेसियों को रिहा कराने में सफल हुई थी।
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सागर सिंह राहुल ने कहा की विपरीत परिस्थितियों में भी जिस धैर्य व साहस से उन्होंने भारत को स्वतंत्र कराने की लड़ाई लड़ी और पूरे भारत में सबसे पहले बलिया को आजाद करवाया,अनुकरणीय है। चित्तू पाण्डेय हम सबके दिलों में सदा जीवित रहेंगे। करुणानिधि तिवारी ने कहा कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में चित्तू पाण्डेय का योगदान अतुलनीय है। हमें उनसे सीख लेते हुए अपने देश की एकता हम अखंडता के लिए कार्य करना चाहिए। हम सब सौभाग्यशाली हैं कि शेरे बलिया की धरती पर पैदा हुए हैं। उनके पदचिन्हों पर चल कर ही हम सशक्त, विकासशील भारत का निर्माण कर सकते हैं। पुष्पार्चन करने वालों में मुख्य रूप से चंद्रशेखर पाण्डेय, करुणानिधि तिवारी, चित्तू पाण्डेय के प्रपौत्र जैनेन्द्र पाण्डेय मिंटू, सत्यप्रकाश उपाध्याय मुन्ना, धीरेंद्र ओझा व अब्बुल फैज आदि रहें।
रिपोर्ट- डॉ ए० के० पाण्डेय