बलिहार (बलिया) बैरिया तहसील अन्तर्गत ग्रामपंचायत छेड़ी चौबेछपरा मे कई वर्षो से नहर पर टूट कर लटके पुल पर अपनी जान को जोखिम डाल कर आवागमन कर रहे ग्रामीणों की समस्याएँ और बढ़ गयी हैं, बताते चले कि कई गांवो को मुख्य सड़क से जोडने वाला यह पुल पिछ्ले कई वर्षो से धराशायी होकर उसके छत का हिस्सा लटका हुआ हैं, जिस पर ग्रामीणों द्वारा मिट्टी डाल कर आवागमन को जारी रखने का प्रबन्ध किया था, ग्रामीणों द्वारा इस पुल के पुनर्निर्माण के लिये पुर्व मे सांसद से लेकर विधायक तक को प्रार्थना पत्र दिया गया लेकिन किसी की नजर उस पुल पर नहीं पडीं, अन्ततः नहर मे घाघरा का पानी आने की वजह से देखते ही देखते वह मिट्टी डाला हुआ पुल बह गया, यह पुल बलिया-बैरिया मार्ग को बांसडीह-बैरिया मार्ग से जोडता है, अचलगढ़ , मुनिछपरा, रेवती, पचरुखिया, रामगढ़, बलिहार सहित चौतरफ़ा आने जाने का एक मात्र रास्ता है, पुल टूटने के कारण अब लोगो को बैरिया-बलिया मार्ग तक आने के लिये 10 किलो मीटर की अतिरिक्त दुरी तय करनी पड़ रही है, लोगो मे इस समस्या को लेकर क्षेत्रिय अधिकारी और वर्तमान विधायक पर ग्रामीणों मे आक्रोश की भावना व्याप्त है, इस गाँव से सटे बलिहार गाँव के लोगो मे भी आक्रोश देखने को मिला लोगो का कहना है अगर पुलिया का निर्माण पहले हो गया होता तो आज आवागमन बाधित नहीं होता, बलिहार गाँव के कूल देवता अवदान ब्रह्म बाबा का स्थान भी छेड़ी गांव मे है, पुल टूटने के कारण इस गांव के लोग अपने कूल देव की नियमित पूजा नहीं कर पा रहे है । ग्राम पंचायत छेड़ी के पुर्व प्रधान ने अपने निजि खर्चे से बास की बल्ली लगाकर लचका पुल बनवाकर लोगों को कुछ राहत देने का काम किया था लेकिन सवाल यह है कि कई गांवों को जोड़ने वाला एकमात्र पुलिया जो विगत 10 वर्षों से क्षतिग्रस्त होने के बावजूद भी इस पर शासन व प्रशासन व जनप्रतिनिधि किसी का भी ध्यान इस पुलिया पर ना देना अपने आप मे सवालिया निशान लगा रहा है, ऐसे में जहां एक तरफ शासन की मंशा है कि हर गांव को मुख्य सड़क से जुड़ा जाए लेकिन यह सिर्फ एक मुहावरा साबित हो रहा है, ग्रामीणों ने इस संबंध मे जिले के उच्चाधिकारियों का ध्यान आकृष्ट कराया हैं।
रिपोर्ट- बलिया ब्यूरों लोकेश्वर पाण्डेय

