वाराणसी (व्यूरो) - 19 सितंबर। नरउर गांव के प्राथमिक विद्यालय में प्रधानमंत्री के सोमवार को हुए आगमन व छात्रों से उनके संवाद को लेकर क्षेत्र में चारों तरफ बस छात्र व प्रधानमंत्री के संवाद की ही चर्चा है। विद्यालय में प्रधानमंत्री के आगमन व उनसे हुए संवाद को लोग बार-बार बच्चों व उनके अभिभावकों से पूछ रहे हैं। विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों को गांव व परिवारीजन मंगलवार- बुधवार को दिनभर घेरे रहे। कई बच्चों के रिश्तेदार भी उनके घर बच्चों से मिलने आए। यही के राम प्रकाश ने बताया कि उनका बेटा आशीष गांव के ही प्राथमिक विद्यालय में कक्षा 4 में पढ़ता है। इस खबर से उसके एक दो रिश्तेदार भी घर पहुंचे थे।
सोमवार को प्रधानमंत्री के विद्यालय में हुए संवाद तथा प्रस्थान के बाद मीडिया,स्थानीय लोगों व शिक्षक तथा अधिकारियों से वार्ता के दौरान बच्चे हर क्षेत्र में निपुण और ज्ञानवान दिखे। प्रधानमंत्री के कार्यक्रम के दौरान बच्चे जहां बिल्कुल अनुशासित ढंग से बैठे रहे, वहीं उन्होंने प्रधानमंत्री के हर बातों का जवाब अच्छे ढंग से दिया इतना ही नहीं इन छात्र-छात्राओं ने अपने प्रश्न भी एक सधे छात्र के अंदाज में पूछा जो किसी निजी विद्यालयों में पढ़ने वाले छात्रों से कम नहीं थे। कार्यक्रम में शामिल प्राथमिक व जूनियर हाई स्कूल के छात्र-छात्राएं जहां विद्यालय शिक्षा में कुशल दिखी, वही उनके अंदर अन्य सह शैक्षणिक गतिविधियां भी कूट-कूट कर भरी थी। प्रधानमंत्री के जाने के बाद मीडिया कैमरे व चमचमाती लाइटों को देख कर किसी भी बच्चे के चेहरे पर घबराहट की कोई शिकन न दिखी। बच्चों ने ना सिर्फ पत्रकारों के हर एक सवालों का जवाब दिया बल्कि प्रधानमंत्री ने उनको क्या बताया था और PM से बच्चों ने क्या पूछा सब एक-एक कर बताते रहे। छात्र छात्राओं का सामान्य ज्ञान, विषय का ज्ञान जहां बेहतर था वही स्काउट्स गाइड्स की छात्राओं को गाइड्स के सारे नियम पता थे। बच्चे जहा रूम टू रीड के बारे में जानते थे वही स्मार्ट क्लास भी उनका पसंदीदा जगह बन चुका है जिसके माध्यम से उन्होंने स्पष्ट उच्चारण करना सीख लिया है। कई कहानियां और कविताएं बच्चों को जुबानी याद थे। स्काउट्स, गाइड्स टीम की छात्राओं ने जिस तरह से प्रधानमंत्री की मार्च पास्ट कर अगवानी की और उन्हें विद्यालय परिसर में ससम्मान ले गई इस दौरान उनमें आत्मविश्वास झलक रहा था। कार्यक्रम के दौरान यहां उपस्थित शिक्षा विभाग सहित अन्य विभाग के अधिकारियों का संशय बच्चों का कांफिडेंस देख दूर हो गया था। वे सब सहसा विश्वास नहीं कर पा रहे थे कि हाशिए पर धकेले गये सरकारी प्राथमिक विद्यालयों के छात्र-छात्राएं हैं। कार्यक्रम की समाप्ति पर जब कुछ लोगों ने मुख्य विकास अधिकारी गौरांग राठी को सफल आयोजन के लिए बधाइयां दी तो उन्होंने मुक्तकंठ से यह सारा श्रेय प्राथमिक शिक्षा विभाग के शिक्षकों को दे दिया।
शिक्षा विभाग से जुड़े तमाम शिक्षकों ने बताया कि प्राथमिक व जूनियर विद्यालयों में कार्यरत शिक्षक व शिक्षिकाओं को बेवजह परेशान किया जाता है। विद्यालय भ्रमण करने आने वाले शिक्षा अधिकारी कमियां बताकर धनउगाही में लगे रहते हैं। शिक्षा अधिकारी छोटी मोटी कमियों को मीडिया में उजागर करते हैं जिससे इन विद्यालयों की अच्छाई दब जाती हैंऔर कमियों का अधिक प्रचार प्रसार हो जाता है। ऐसे में लोग भ्रमित होकर प्राइमरी व जूनियर विद्यालयों में बच्चों को पढ़ने के लिए नहीं भेजते।अगर शिक्षाधिकारी भी शिक्षकों के साथ शिक्षा की गुणवत्ता पर ध्यान दें तो प्राथमिक विद्यालय अब भी प्राइवेट स्कूलों से आगे हो सकते हैं। प्राथमिक शिक्षा विभाग से जुड़े शिक्षकों ने कहा कि प्रधानमंत्री का प्राथमिक विद्यालय में आना और बच्चों से बात करना सरकारी प्राथमिक व जूनियर विद्यालयों के लिए संजीवनी साबित होगी, क्योंकि छात्रों ने जिस बेबाकी से उत्तर दिया उसे पूरे भारत ने देखा। मालूम हो कि प्रधानमंत्री द्वारा जयापुर को गोद लिए जाने के बाद वहां के प्राथमिक विद्यालय में भी छात्रों की संख्या में वृद्धि हुई थी।विकासखंड आराजीलाइन में कई विद्यालय मिसाल के रूप में है जहां पर कार्यरत शिक्षकों ने विद्यालय को अपने संसाधनों से बेहतर बनाया है। जहा वे शिक्षार्थियों के लिए दिन रात एक किए रहते हैं।
रिपोर्ट - वाराणसी ब्यूरो अब्दुल्ला वारसी