भारत में त्योहारों और धार्मिक मान्यताओं की समृद्ध परंपरा है और करवा चौथ उनमें से हैं एक महत्वपूर्ण पर्व, जिसे खासतौर से मनाती हैं उत्तर और पश्चिमी भारत की महिलाएं, इस शुभ दिन पर महिलाएं अपने पति या भविष्य के जीवनसाथी की लंबी उम्र, सुरक्षा और अच्छे स्वास्थ्य की करती हैं कामना
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करवा चौथ पर्व 2024 की तारीख और महत्व
नई दिल्ली (ब्यूरो डेस्क)। करवा चौथ 2024 में यह पर्व 20 अक्टूबर को पूरे भारत देश में मनाया जाएगा। यह पर्व कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को आता है, जो पूर्णिमा के चौथे दिन होता है। इस दिन को 'करक चतुर्थी' के नाम से भी जाना जाता है, जिसमें 'करवा' एक विशेष मिट्टी के बर्तन को कहते हैं, जिसका उपयोग चंद्रमा को अर्घ्य देने के लिए किया जाता है। इस दिन महिलाएं भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश जी की पूजा करती हैं और चंद्रमा को अर्घ्य देकर अपना व्रत समाप्त करती हैं।
जानें इस कठिन व्रत व उसका सांस्कृतिक महत्व
करवा चौथ का व्रत काफी कठोर होता है, जिसमें महिलाएं सूर्योदय से लेकर रात में चंद्रमा दिखने तक पानी और भोजन का त्याग करती हैं। यह व्रत न सिर्फ भक्ति का प्रतीक है बल्कि इसका सांस्कृतिक महत्व भी है, खासकर उन इलाकों में जहां गेहूं की खेती होती है। कई जगहों पर मिट्टी के बर्तनों को 'करवा' कहा जाता है, जो इस बात की ओर इशारा करता है कि यह व्रत एक अच्छी फसल की कामना से जुड़ा हो सकता है। खासतौर पर उत्तर व पश्चिमी राज्यों में जहां गेहूं प्रमुख फसल है, वहां यह प्रथा अधिक प्रचलित है।
करवा चौथ 2024: पूजा का समय और चंद्रोदय
करवा चौथ के पूजा विधि और समय क्षेत्रीय भिन्नताओं के साथ बदल सकते हैं। यहां कुछ प्रमुख शहरों के लिए पूजा और चंद्रोदय का समय दिया गया हैं।
🔘 दिल्ली एनसीआर
🔘 मुंबई, महाराष्ट्र
🔘 बेंगलुरु, कर्नाटक
निर्जला व्रत रखकर चंद्रमा का करती हैं इंतजार
इस शुभ पर्व पर महिलाएं दिनभर निर्जल व्रत रखकर चंद्रमा का इंतजार करती हैं, और चंद्र दर्शन के बाद ही अपना व्रत तोड़ती हैं। यह पर्व न सिर्फ प्रेम और विश्वास का प्रतीक है, बल्कि भारतीय संस्कृति की गहरी जड़ों से भी जुड़ा हुआ है।
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रिपोर्ट- नई दिल्ली ब्यूरो डेस्क