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यूपी के इस गांव में मक्खियों का कहर, न रिश्तेदार आ रहें न रिश्ते, मच्छरदानी में कैद होकर लोगों का जीना हुआ दुश्वार, जानें ये पूरा मामला

"गांव में मक्खियों की भनभनाहट से शहनाइयां बजनी हुई बंद, लोगों का कहना है कि पोल्ट्री फार्म खुलने के बाद बढ़ी मक्खियां, किचन में काम करना दुश्वार"

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उन्नाव (ब्यूरो, उत्तर प्रदेश)। सिनेमा के परदे पर दिखने वाले तमाम दृश्यों को लोग सच से बहुत दूर मान लेते हैं। मसलन दक्षिण भारतीय फिल्म की हिन्दी रीमेक ‘मक्खी’ देखने वाले सोचते हैं, यह कैसे संभव है। एक मक्खी की हैसियत क्या है। वह किसी इंसान का क्या बिगाड़ लेगी। ऐसे लोग उन्नाव के गांव रुदवारा आ जाएं तो उन्हें मक्खियों की ताकत पता चल जाए। इस गांव में इस कदर मक्खियां हो गई हैं कि जिंदगी दुश्वार है। लोग दिन-रात मच्छरदानी में रहते हैं। उसी के अंदर भोजन करते हैं। रिश्तेदार ही नहीं अब तो रिश्ते आने भी बंद हो गए हैं। गांव के लोगों का कहना है कि गांव के पास खुले पोल्ट्री फार्म की वजह से यह नौबत आ गई है। ग्रामीणों की शिकायत के बाद डीएम भी गांव का निरीक्षण करा कर समस्या हल करने का निर्देश दे चुकी हैं। जरा सोचिए मक्खियों की वजह से गांव में शहनाई न बजे तो क्या होगा। लोगों का खाना पीना हराम हो जाए। बच्चे बीमार पड़ने लगें। भोजन-पानी, दूध-चाय में मक्खियां गिरती हों। गांव के लोगों को लगातार मच्छरदानी में रहना पड़े। जानवरों तक को कपड़ों से ढकना पड़े। वहां कैसी जिंदगी होगी। रुदवारा गांव के लोग ऐसे ही हाल में जी रहें है। यह गांव नवाबगंज ब्लॉक में है। लखनऊ कानपुर हाईवे से लगभग तीन किलोमीटर दूर दो हजार की आबादी वाला यह गांव चर्चा में है। उन्नाव, सीडीओ, ऋषि राज ने कहा कि गांव में मक्खियों के बारे में जानकारी हुई है।

वहां टीम भेजकर जांच कराई जा रही है। ग्रामीणों की मदद के लिए हर संभव प्रयास किया जाएगा। मक्खियों के आतंक की वजह ग्रामीण गांव के पोल्ट्री फार्म को मानते हैं। प्रधान विजय पाल लोधी बताते हैं कि कुछ साल पहले तक गांव में मक्खियों का आतंक नहीं था। गांव में जब से पोल्ट्री फार्म खुला, मक्खियां इतनी बढ़ गईं। गांव में अब न ही रिश्तेदार आना पसंद करते हैं और न ही गांव के लड़कों के रिश्ते तय हो पा रहे हैं। कोई गांव आता है तो वह मक्खियों की वजह से चाय पीना भी पसंद नहीं करता है। कई बार अधिकारियों से शिकायत की गई लेकिन सुनवाई नहीं हुई। महिलाएं आटा गूंथती हैं तो उन्हें सतर्क रहना पड़ता है। कई बार मक्खियां भी आटे में गुंथ जाती है। रात में घरों की दीवारें काली दिखती हैं। इन पर मक्खियां चिपक जाती हैं। रुदवारा निवासी सोनी ने कहा कि बच्चे अक्सर बीमार हो जाते हैं। कई बार भोजन करते हुए मुंह में भी मक्खी चली जाती हैं। मेरे कई रिश्तेदारों ने आना छोड़ दिया। शिवओम ने कहा कि हम दिन में सोने के लिए भी मच्छरदानी लगाते हैं। अनिल ने बताया कि सबसे अधिक परेशानी मांगलिक कार्यक्रमों में होती है। मक्खियों की वजह से कार्यक्रम करने की हिम्मत नहीं होती। रुदवारा में 2013 में पोल्ट्री फार्म खोला गया था। यह छह बीघे में बना हुआ है। एक साल बाद ही इसे बंद कराने की मांग शुरू हो गई थी।

रिपोर्ट- उन्नाव ब्यूरो डेस्क

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