"भ्रष्टाचार के विरुद्ध जीरो टॉलरेंस नीति के तहत नगर विकास विभाग ने भ्रष्टाचार रोकने की दिशा में एक कदम और बढ़ा दिया है आगे, निकाय कर्मियों को अपना और अपने घर वालों की संपत्तियों का ब्योरा मानव संपदा पोर्टल पर करना होगा ऑनलाइन अपलोड"
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लखनऊ (ब्यूरो, उत्तर प्रदेश)। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भ्रष्टाचार के विरुद्ध जीरो टॉलरेंस नीति के तहत नगर विकास विभाग ने भ्रष्टाचार रोकने की दिशा में एक कदम और आगे बढ़ा दिया है। निकाय कर्मियों को अपना और अपने घर वालों की संपत्तियों का ब्योरा मानव संपदा पोर्टल पर ऑनलाइन करना होगा। इसके साथ ही विभाग में पिछली बार की तरह मेरिट पर आधारित ऑनलाइन तबादला किया जाएगा। प्रमुख सचिव नगर विकास अमृत अभिजात ने बताया कि प्रथम नियुक्ति के समय से हर पांच वर्ष की अवधि बीतने पर अधिकारी अचल संपत्ति की घोषणा करेगा। इनमें सम्पत्ति, हिस्सों और अन्य लगी हुई पूंजियों का ब्योरा देना होगा। इसे एनआईसी के मानव संपदा पोर्टल पर अपलोड करना होगा। सभी अधिकारियों व कर्मचारियों का केपीआई (की परफार्मेंस इंडीकेडर) निर्धारित किया गया है। पशु चिकित्सा सेवा के अधिकारियों को केपीआई से मुक्त रखा गया है। अपर नगर आयुक्त, संयुक्त नगर आयुक्त, उप नगर आयुक्त, सहायक नगर आयुक्त के लिए तीन वर्षों की वार्षिक गोपनीय प्रविष्टियों के आधार पर अंक निर्धारित होंगे। इसी तरह तीन वर्षों के लघु दीर्घ दंड के आधार पर, तीन वित्तीय वर्षों में सौंपे गए लक्ष्य के सापेक्ष उपलब्धि और कार्मिक को गत तीन वित्तीय वर्षों में प्रशस्ति पत्र प्राप्त होने के आधार पर अंक निर्धारित होंगे। प्रत्येक वित्तीय वर्ष में प्राप्त प्रशस्ति पत्र के लिए दो अंक रखे गए हैं।
कार्मिक को प्रशस्ति पत्र प्राप्त होने पर अधिकतम छह अंक और कार्मिक को प्रशस्ति पत्र प्राप्त न होने पर शून्य अंक मिलेगा। कार्मिक द्वारा विभाग में प्रस्तुत किए गए चल-अचल संपत्ति के विवरण के आधार पर भी अंक मिलेंगे। कर अधीक्षक व अधिशासी अधिकारी नगर पालिका परिषद व नगर पंचायत, मुख्य अभियंता (सिविल), अधिशासी अभियंता (सिविल), सहायक अभियंता (सिविल), अवर अभियंता (सिविल) और विद्युत यांत्रिक अभियंताओं को भी इन्हीं आधार पर अंक मिलेंगे। राज्य सरकार छोटे शहरों में उनकी जरूरतों के हिसाब से सड़क, नाली और पार्क की सुविधा देने जा रही है। ये सभी काम अटल मिशन फॉर रिजूवेशन एंड अर्बन ट्रांसफार्मेशन योजना (अमृत-दो) में कराए जाएंगे। निकायों से इसके लिए सर्वे कराते हुए प्रस्ताव मांगा गया है, जिससे केंद्र सरकार से पैसे की मांग करते हुए इन कामों को कराया जा सके। केंद्र सरकार ने प्रदेश के निकायों में अमृत-दो योजना में जरूरी सुविधाएं देने के लिए राज्यों से प्रस्ताव मांगा है। उत्तर प्रदेश में 26,000 करोड़ रुपये की लागत से विकास के काम होने हैं। अमृत एक में विभिन्न शहरों में काम हो चुका है, लेकिन कई ऐसे निकाय हैं जो या तो नए बने हैं या फिर उनका विस्तार हुआ है। वहां अभी कई जरूरी काम होने हैं।
रिपोर्ट- लखनऊ डेस्क