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धर्म: पितृदोष से मुक्ति पाने के लिए जरूर करें ये ज्योतिषीय उपाय, आर्थिक तंगी होगी दूर, बनेंगे यें बिगड़े हुए सारे काम, धारण करें यें रत्न

"जन्मकुंडली में सूर्य की स्थिती ठीक नहीं हो तो अवश्य धारण करना चाहिए माणिक रत्न, ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार माणिक रत्न को माना जाता है सबसे श्रेष्ठ, लाल रंग का होता है माणिक, माणिक रत्न में पाई जाती है पॉजिटिव एनर्जी"

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नई दिल्ली (ब्यूरो)। माणिक सूर्य रत्न है। सूर्य को कलपुरुष की आत्मा कहा जाता है। यह पुरुष ग्रह तांबे के समान रंग वाला तथा पूरब दिशा का स्वामी है। यदि जन्मकुंडली में सूर्य की स्थिती ठीक नहीं हो तो माणिक रत्न अवश्य धारण करना चाहिए। माणिक को अंग्रेजी में रूबी कहते है। ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार माणिक रत्न को सबसे श्रेष्ठ माना जाता है। यह लाल रंग का होता है। यह काफी महंगा होता है। माणिक में पॉजिटिव एनर्जी पाई जाती है, जिसे धारण करने के बाद खुद के अंदर पॉजिटिव एनर्जी का एहसास होना शुरू हो जाता है। माणिक को धारण करने वाले लोगों में सौभाग्य की प्राप्ति होती है तथा कुंडली में बन रही पितृदोष से राहत देता है। अब सवाल उठता है कि माणिक रत्न कौन धारण कर सकता है। इस बारे में विस्तार से आकलन करतें हुए ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा बताते हैं की धन स्थान यानि कुंडली में दुसरे भाव में सूर्य धन -प्राप्ति का बाधक होता है। नौकरी में परेशानी होती है। इसे माणिक रत्न धारण करने से लाभ मिलता है। कुंडली में चौथे स्थान का सूर्य आजीविका में बाधक बनता है, ऐसे लोग अगर माणिक धारण करे तो लाभ होगा।

यदि भाग्येश, धनेश तथा राज्येश होकर छठे तथा आठवे स्थान पर हो माणिक धारण करना उपयोगी होता है। सूर्य पंचम भाव का स्वामी हो तो माणिक रत्न धारण करने से अत्यधिक लाभ तथा उन्नति होता है। सातवे का सूर्य स्वास्थ के लिए हानिकारक होता है। ऐसे व्यक्ति को माणिक रत्न धारण करना चाहिए। सूर्य अपने भाव से अष्टम या छठे होकर पंचम या नवं भाव में हो तो माणिक रत्न धारण करना चाहिए। एकादश भाव में सूर्य पुत्र के लिए चिंता उत्पन करता है। बड़े भाई के लिए कष्टकारी होता है। माणिक रत्न धारण करना चाहिए। सूर्य बारह भाव में हो तो आंख की समस्या बनी रहती है। नेत्र को सुरक्षित रखने के लिए माणिक रत्न पहनना चाहिए। कुंडली में पितृ दोष बन रहा है तो माणिक रत्न धारण करने से लाभ होता है। मेष लग्न वाले माणिक धारण कर सकते है। इसे सुख संतान तथा राज्य की कृपा होता है। सिंह लगन वाले माणिक धारण कर सकते है। शत्रु भय मानसिक, शरारिक तथा आयु में वृद्धि होती है। वृश्चिक लग्न वाले माणिक धारण कर सकते है। मान, सम्मान, व्यापार तथा नौकरी में उन्नति होता है।

धनु लग्न वाले अगर माणिक रत्न धारण करे तो आर्थिक लाभ पिता का सुख तथा भाग्य में उन्नति होता है। मीन लग्न वाले माणिक रत्न धारण कर सकते है। इनके लिए लाभकारी होगा। ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा के अनुसार माणिक की खरीदारी रविवार, सोमवार, गुरूवार को करें तथा सोने की अंगूठी में जड़वाए। शुक्लपक्ष के किसी भी रविवार के दिन सूर्योदय के समय पहना चाहिए। धारण करने के पहले कच्चे दूध में या गंगाजल में डुबाकर रखना चाहिए। फिर जल से स्नान कराकर पुष्प, चन्दन और धूपबत्ती से उसकी उपासना करनी चाहिए। साथ ही सूर्य का मन्त्र का जप करना चाहिए। ॐ घृणि सूर्याय नम: इसे दाहिने हाथ के तर्जनी उंगली में धारण करे। माणिक रत्न से रोगों के उपचार में भी सहायता होता है। माणिक रत्न रक्त सम्बंधित विकारो के लिए फायदेमंद होता है। माणिक रत्न धारण करने से पेट के विभिन रोग में अत्यत लाभदायक होता है तथा दीर्घायु बनाता है। साथ ही क्षय रोग, फोड़ा फुंसी, धातु तथा विष तथा नामर्दी में भी काम आता है। ज्योतिष, वास्तु एवं रत्नों से जुड़ें समस्याओं व उचित परामर्श के लिए ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा से 8080426594 व 9545290847 पर सम्पर्क कर समस्याओं से निदान व उचित परामर्श प्राप्त कर सकतें हैं।

रिपोर्ट- नई दिल्ली डेस्क

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