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बांझपन का मुख्य कारण हैं जननांग टीबी, इस मामलें मे जागरूक रहने की बेहद है जरुरत, जानें महिलाओं में क्षय रोग से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारियां

"महिलाओं में बांझपन का कारण टीबी के रूप में जो सामने आता है, उसमें 95 फीसदी फैलोपियन ट्यूब में पाए गए हैं टीबी के केस, टीबी से फैलोपियन ट्यूब को पहुंचता है गंभीर रूप से नुकसान"

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बलिया (ब्यूरो, उत्तर प्रदेश)। महिलाओं में जननांग क्षय रोग (टीबी) एक बड़ी बीमारी है। क्योंकि यह कई परिस्थितियों में बिना लक्षणों के साथ उत्पन्न होती है। यह माइकोबैक्टेरियम ट्यूबरक्लोसिस नामक संक्रमित जीवाणुओं के शरीर में प्रवेश होने से होता है। कई बार यह क्षय रोग का प्रमुख कारण भी बनता है। यह कहना है जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. आनंद कुमार का। डीटीओ ने बताया कि मुख्य रूप से सबसे अधिक हमारे फेफड़े इससे प्रभावित होते हैं लेकिन महिलाओं में बढ़ता बांझपन का कारण भी टीबी है। इसे जेनाईटल या पेल्विक टीबी भी कहते हैं। इस रोग से महिला की ओवरी,जननांग और सर्विक्स प्रभावित होते हैं। 90 फीसदी जननांगों की टीबी 15 से 40 साल की महिलाओं में होती है। पिछले कुछ सालों में जननांगों की टीबी 10 फीसदी से बढ़कर 30 फीसदी हो गई है। कई बार जांच में इस रोग की पुष्टि होती है। सामान्य टीबी के इलाज से जननांगों की टीबी ठीक हो जाती है। डॉ० आनन्द कुमार ने बताया कि करीब 60 से 80 फीसदी महिलाओं में बांझपन का कारण टीबी के रूप में जो सामने आता है, उसमें 95 फीसदी फैलोपियन ट्यूब में टीबी के केस पाए गए हैं। टीबी से फैलोपियन ट्यूब को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचता है। प्रारंभिक अवस्था में इलाज नहीं हो तो आगे स्थिति गंभीर हो सकती है।

टीबी बैक्टीरिया मुख्य रूप से फेलोपियन ट्यूब को बंद कर देता है। इसकी वजह से गर्भ नहीं ठहरता और इसके अलावा वेजाइना में भी एक प्रतिशत टीबी के मामले देखे गए हैं। गर्भाशय टीबी की बात करें तो आमतौर पर तपेदिक या टीबी स्त्रियों के जननांग जैसे अंडाशय, फेलोपियन ट्यूब, गर्भाशय, गर्भाशय ग्रीवा, तथा योनि में आसपास के लिंफ नोड्स को प्रभावित करता है। यह रोग मुख्यतः महिलाओं को प्रसव अवधि के दौरान प्रभावित करता है और अक्सर बांझपन का कारण बन जाता है, क्योंकि बैक्टीरिया जननांग पर हमला करते हैं। फेफड़ों में संक्रमण होते हैं इसका पता लगाना शुरुआत में आसान है, लेकिन अगर बैक्टीरिया सीधे जननांग अंगों पर हमला करता है तो बाद के स्टेज में इसका पता लगाना मुश्किल होता है। इसका समय पर उपचार हो जाए तो गर्भधारण में समस्या नहीं आती। इसका पता लगाने के लिए कोई विशिष्ट जांच नहीं हैं। एंडोमेट्रियल बायोप्सी और लेप्रोस्कोपी का उपयोग यह जांचने के लिए किया जाता है। गर्भाशय टीबी से बचने के उपायों की बात करें तो स्वच्छता का ध्यान रखें कमरे को रोशनी और हवा युक्त रखें। खानपान शुद्ध व पौष्टिक रखें। निचले पेट में गंभीर दर्द, अनियमित मासिक धर्म, योनि स्राव होने पर डॉक्टर से सलाह जरूर लें।

रिपोर्ट- बलिया डेस्क

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