"लखनऊ में खून के अवैध कारोबार में लिप्त डॉक्टरों ने खुद को बचाने के लिए तिकड़म लगाते हुए वाट्सएप पर भेजा अपना इस्तीफा, हालांकि इनमें से एक का भी इस्तीफा नहीं किया गया स्वीकार"
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लखनऊ (ब्यूरो, उत्तर प्रदेश)। यूपी की राजधानी लखनऊ में कुछ दिनों पहले खून के अवैध कारोबार का खुलासा हुआ था। इस धंधे में शामिल रहे डॉक्टरों ने खुद को बचाने के लिए तिकड़म लगाना शुरू कर दिया है। पंजीकरण के वक्त जो डॉक्टर अपने लाइसेंस लगा रहे थे। अब वे छापेमारी के बाद ब्लड बैंकों से पल्ला झाड़ रहे हैं। संचालकों को व्हाट्सऐप और ईमेल के माध्यम से अपना इस्तीफा भेज रहे हैं। ताकि खून के काले कारोबार की छीटें उनके दामन को दागदार न कर दें। हालांकि इनमें से एक का भी इस्तीफा स्वीकार नहीं किया गया है। मिली जानकारी के अनुसार ठाकुरगंज स्थित मिड लाइफ व नारयणी चैरिटेबल ब्लड बैंक में बीते माह एसटीएफ-ड्रग विभाग की टीम ने छापा मारा था। पुलिस ने 302 यूनिट खून जब्त किया था। यह खून जयपुर से बिना तय तापमान के लाया गया था। इसके बाद एफएसडीए ने मानव चैरिटेबल व स्वास्तिक ब्लड बैंक में छापेमारी की थी। इस्तीफा छापेमारी के बाद ब्लड बैंक के लाइसेंस प्रक्रिया में पंजीकृत डॉक्टरों ने अब संचालकों को इस्तीफा भेजना शुरू कर दिया है। अब तक दो ब्लड बैंक के डॉक्टर अपना इस्तीफा संचालकों के मोबाइल पर भेज चुके हैं। ताकि खुद को खून के अवैध कारोबार से अलग रख सकें। वहीं ब्रजेश कुमार, सहायक आयुक्त, एसएसडीए ने बताया कि इस्तीफा व्हाट्सऐप पर डाला जाना मान्य नहीं है। इसकी सूचना ड्रग विभाग को दी जानी चाहिए थी। जांच रिपोर्ट आने के बाद जिन डॉक्टर व स्टाफ के लाइसेंस लगे थे। उन सभी पर मुकदमा दर्ज होगा।
रिपोर्ट- लखनऊ डेस्क