"सभी अधीक्षक व प्रभारी चिकित्सा अधिकारी को गर्भवती की एएनसी जांच के दौरान ही टीबी की जांच करवाने के दिए गए हैं निर्देश"
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बलिया (ब्यूरो, उत्तर प्रदेश)। जिले में अब प्रसव पूर्व जांच के दौरान टीबी की भी जांच होगी। यह जानकारी जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ० आनन्द कुमार ने दी। उन्होंने बताया कि इस संबंध में मिशन निदेशक राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन का पत्र आया है। पत्र में लिखा है कि प्रदेश में हर साल लगभग 8000 गर्भवतियों में क्षय रोग के लक्षण पाए जा रहे हैं।इसलिए टीबी का उपचार नितांत आवश्यक है। डॉ आनंद ने बताया कि सभी अधीक्षक व प्रभारी चिकित्सा अधिकारी को गर्भवती की एएनसी जांच के दौरान ही टीबी की जांच करवाने के निर्देश दिए गए हैं। घर-घर जाकर गर्भवती की स्क्रीनिंग कर स्वास्थ्य केंद्र तक लाने की जिम्मेदारी आशा कार्यकर्ता को सौंपा गया है। जांच के बाद टीबी की पुष्टि होने पर डाक्टर की सलाह पर गर्भवती का उपचार किया जाएगा। उन्होंने बताया कि उच्च जोखिम वाली गर्भवती महिलाओं में टीबी की संभावना रहती है। बीमारी के बारे में पता न चलने के कारण प्रसव के दौरान जच्चा-बच्चा की जान को खतरा रहता है।
ऐसे गर्भवती महिलाओं को चिन्हित कर टीबी की जांच कराने के लिए कहा गया है। टीबी की पुष्टि होने पर उन्हें निक्षय पोषण योजना के तहत इलाज के दौरान हर माह 500 रुपये दिए जाएंगे। जिला कार्यक्रम समन्वयक आशीष सिंह ने बताया कि जनपद में वर्ष 2022 में 2554 टीबी मरीज पंजीकृत हैं, इसमें 1147 महिलाएं हैं। जिला क्षय रोग अधिकारी ने बताया कि उच्च जोखिम वाली गर्भवती को अधिक जोखिम रहता है। टीबी का नहीं पता चलने पर स्थिति बिगड़ जाती है। महिला का वजन तेजी से कम होता है और कमजोरी आती है। ऐसे में यदि टीबी का समय से पता चल जाएगा तो उपचार हो सकेगा। इससे मातृ शिशु मृत्यु-दर में भी सुधार आएगा और डॉक्टर सुरक्षित प्रसव करा सकेंगे। गर्भधारण के दिनों में महिला को संक्रमण का खतरा अधिक रहता है। ऐसे में यदि गर्भवती टीबी मरीज के संपर्क में आती है तो संक्रमण का खतरा अधिक बढ़ जाता है। साथ ही गर्भवती होने के दौरान महिला की रोग प्रतिरोधक क्षमता काफी कम होती है। इसलिए सतर्क रहने कि जरुरत है।
रिपोर्ट- बलिया डेस्क