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यूपी चुनाव: सिकन्दरपुर सीट पर पहली बार 2017 मे खिला था कमल, क्या सपा बसपा की होगी वापसी, 2022 में कौन बनेगा फूलों की नगरी का सिकन्दर

"सिकन्दरपुर विधानसभा सीट से बीजेपी के संजय यादव हैं विधायक, बीजेपी के संजय यादव ने 2017 के चुनाव में सपा के जियाउद्दीन रिजवी को दी थी शिकस्त"

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सिकन्दरपुर (बलिया, उत्तर प्रदेश)। यूपी के पूर्वी छोर पर स्थित बलिया जिले की एक विधानसभा सीट है सिकन्दरपुर विधानसभा सीट। ये इलाका गुलाब के उत्पादन और इत्र की खुशबू के लिए प्रसिद्ध है। कभी इस इलाके की बड़ी आबादी का जीवन यापन गुलाब की खेती पर निर्भर था, लेकिन समय के साथ सरकारों की उदासीनता के कारण फूलों की खुशबू का दायरा दिनों-दिन बेहद छोटा होता चला गया। सिकन्दरपुर को गुलाब की नगरी भी कहा जाता है। सिकन्दरपुर इत्र कारोबार के लिए पूरी दुनिया में अपनी पहचान रखता है। यहां का इत्र विदेशों तक अपनी खुशबू बिखेरता रहा है। अब ये काम बहुत ही छोटे पैमाने पर हो रहा है। विदेशों में निर्यात कम होने के कारण यहां का कारोबार धीमा पड़ गया। कुछ बड़े और पुराने कारोबारी ही अब इस काम को करते हैं। सिकन्दरपुर विधानसभा सीट के राजनीतिक अतीत की बात करें तो 1991 में कांग्रेस के मार्कंडेय विधायक निर्वाचित हुए थे। 1993 में समाजवादी पार्टी (सपा) के दीनानाथ चौधरी जीते। 1996 में राजधारी सिंह और 2002 में सपा के जियाउद्दीन रिजवी विधायक निर्वाचित हुए।

2007 में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के भगवान पाठक विधायक निर्वाचित हुए। 2012 में सपा के जियाउद्दीन रिजवी फिर विधानसभा पहुंचे। वहीं 2017 के जनादेश की बात करें तो सिकन्दरपुर विधानसभा सीट से साल 2017 के विधानसभा चुनाव में सपा से तब के निवर्तमान विधायक जियाउद्दीन रिजवी मैदान में थे। रिजवी के सामने भारतीय जनता पार्टी ने संजय यादव और बसपा ने राजनारायण को टिकट दिया। बीजेपी के टिकट पर उतरे संजय यादव चुनावी बाजी जीतकर विधानसभा पहुंचने में सफल रहे। संजय यादव ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी सपा के मोहम्मद जियाउद्दीन रिजवी को 24 हजार वोट से अधिक के अंतर से शिकस्त दिया था। सिकन्दरपुर विधानसभा सीट के सामाजिक समीकरणों की बात करें तो यहां हर जाति-वर्ग के मतदाता रहते हैं। इस विधानसभा क्षेत्र में मुस्लिम मतदाता अच्छी तादाद में हैं। अन्य पिछड़ा वर्ग के साथ ही सवर्ण मतदाता भी सिकन्दरपुर विधानसभा सीट का चुनाव परिणाम निर्धारित करने में निर्णायक भूमिका निभाते हैं।

दलित मतदाताओं की तादाद भी यहां अच्छी खासी है। सितंबर 2021 की मतदाता सूची के मुताबिक इस विधानसभा क्षेत्र में करीब तीन लाख मतदाता हैं। हालांकि केंद्र में मोदी सरकार बनने के बाद पहले लोकसभा और बाद में विधानसभा में जातिगत समीकरण कमजोर पड़े। पिछली बार यहां कमल खिला, अब देखना दिलचस्प होगा कि 2022 में बीजेपी अपनी यह सीट बचाकर रख पाती है या वापस इस सीट पर सपा-बसपा का कब्जा होगा। वहीं निवर्तमान विधायक संजय यादव के रिपोर्ट कार्ड की बात करें तो सिकन्दरपुर से विधायक बीजेपी के संजय यादव का दावा है कि उनके विधायक रहते क्षेत्र का चहुंमुखी विकास हुआ है। विधायक और उनके समर्थक सड़क समेत विभिन्न विकास कार्य गिना रहे हैं। वहीं, विरोधी दलों के नेता विकास ठप होने का आरोप लगा रहे हैं। सपा के लोगों का आरोप है कि मोहम्मद जियाउद्दीन रिजवी के विधायक रहते शुरू हुए सभी विकास कार्य ठप पड़ गए हैं।

रिपोर्ट- विनोद कुमार गुप्ता

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