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बुखार कैसा भी हो, चिकित्सक को दिखाएं या आशा कार्यकर्ता को दें सूचना, विशेष संचारी रोग नियंत्रण अभियान के शुभारंभ पर स्वास्थ्य विभाग की अपील

"न तो खुद से इलाज करें और न ही किसी अप्रशिक्षित चिकित्सक के पास जाएं, हर संचारी रोग की समय से पहचान और इलाज से स्वस्थ हो जाते हैं लोग"

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गोरखपुर (ब्यूरो, उत्तर प्रदेश)। मानसून के आगमन के साथ ही ज्यादातर संचारी रोगों का भी आगमन होने लगता है। ऐसे में सतर्कता ही सबसे बेहतर उपचार है। अगर किसी भी किस्म का बुखार है तो तुरंत चिकित्सक को दिखाना चाहिए या फिर क्षेत्र की आशा कार्यकर्ता को सूचना देनी चाहिए। यह अपील की है मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. सुधाकर पांडेय ने। जिले में एक से 31 जुलाई तक चलने वाले विशेष संचारी रोग नियंत्रण माह के शुभारंभ पर उन्होंने कहा कि न तो खुद से चिकित्सा करनी है और न ही किसी अप्रशिक्षित चिकित्सक के पास जाना है। हर संचारी रोग की समय से पहचान और शीघ्र इलाज से बहुतायत लोग स्वस्थ हो जाते हैं। मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि इस माह के दौरान टीबी, डेंगू, मलेरिया, इंसेफेलाइटिस, कालाजार, कोविड-19 जैसे विभिन्न प्रकार के संचारी रोगों के अलावा कुपोषण के प्रति भी लोगों को जागरूक किया जाएगा। इस अभियान में स्वास्थ्य विभाग नोडल की भूमिका में है और कुल 11 विभाग जिला प्रशासन के दिशा-निर्देशन में आपसी समन्वय से कार्य करेंगे। इस माह की सफलता तभी सुनिश्चित हो सकती है जबकि मुख्य संदेश पर समुदाय की तरफ से व्यापक सहयोग प्राप्त हो।

अभियान का मुख्य उद्देश्य बीमारियों के प्रति जनजागरूकता के जरिये रोकथाम है और इसके बावजूद अगर कोई बीमार होता है तो इलाज के सही तौर-तरीके के बारे में व्यवहार परिवर्तन करना है। सीएमओ डॉ. पांडेय ने कहा कि लोगों को मच्छरों से बचाव के लिए मेडिकेटेड मच्छरदानी के इस्तेमाल, घरों के भीतर साफ-सफाई, हाथों की स्वच्छता, पौष्टिक भोजन के सेवन, चूहा, छछुंदर से घर को मुक्त करना, शुद्ध पेयजल के इस्तेमाल, पानी का क्लोरिनेशन कर इस्तेमाल, मॉस्क के उपयोग, दो गज की दूरी जैसे नियमों को मानना होगा। स्वास्थ्य विभाग समेत 11 विभाग अभियान के दौरान निरोधात्मक कार्यवाही करेंगे, लेकिन घरों के भीतर बीमारी से बचाव के उपाय में सामुदायिक भागीदारी आवश्यक है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि अगर कोई तीव्र बुखार का रोगी आशा कार्यकर्ता को सूचित करता है तो वह मरीज को अस्पताल तक पहुंचाने में मदद करती हैं। आवश्यकता पर एंबुलेंस सेवा भी मुहैया कराती हैं। संचारी रोगों के मामले में कोई भी अनहोनी इस कारण होती हैं कि लोग बुखार होने के बाद अपने मन से मेडिकल स्टोर से दवा खरीद कर खाते हैं या फिर किसी अप्रशिक्षित चिकित्सक की सहायता लेते हैं।

अगर समय से इलाज शुरू कर दिया जाए तो जटिलताएं नहीं बढ़ती हैं और मरीज की जान बचायी जा सकती है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि शासन से प्राप्त दिशा-निर्देशों के अनुसार विशेष संचारी रोग नियंत्रण माह के दौरान नगर विकास विभाग नगरीय क्षेत्र में शुद्ध पेयजल, साफ-सफाई, मच्छरों की रोकथाम, संवेदनशील क्षेत्रों को खुले में शौच से मुक्त कराना और नाला-नालियों की साफ-सफाई, पंचायती राज विभाग व ग्राम्य विकास विभाग जनजागरूकता, शुद्ध पेयजल की व्यवस्था, वेक्टर कंट्रोल और वातावरणीय स्वच्छता के प्रयास, पशुपालन विभाग सुकरबाड़ों को आबादी से दूर करवाने के प्रबंधन, बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग कुपोषित बच्चों के चिन्हांकन, उन्हें पुष्टाहार वितरित करना, जनजागरूकता व संवेदीकरण, दिमागी बुखार के दिव्यांग बच्चों को योजनाओं का लाभ दिलवाने, शिक्षा विभाग वाट्स एप ग्रुप के जरिये जनजागरूकता अभियान व संवेदीकरण, चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा बीमारियों की जांच के लिए प्रयोगशाला प्राविधिक प्रशिक्षण, दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग द्वारा दिमागी बुखार के दिव्यांग रोगियों के कल्याण की योजनाओं का लाभ दिलवाने, कृषि एवं सिंचाई विभाग द्वारा मच्छरों के प्रजनन पर रोक लगाने, सूचना विभाग द्वारा प्रचार-प्रसार और उद्यान विभाग द्वारा मच्छर रोधी पौधों के रोपण जैसी गतिविधियां प्रमुख तौर पर संचालित की जानी हैं।

रिपोर्ट- गोरखपुर डेस्क

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