"परिवार वालों ने महिला का कर दिया था अंतिम संस्कार, लेकिन 15 दिन बाद ही अस्पताल से स्वस्थ होकर वापस अपनें घर लौटी महिला"
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मिली जानकारी के अनुसार कोरोना की जांच पॉजिटिव आने के बाद गिरिजम्मा को 12 मई को विजयवाड़ा के सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। अगले दिन उनके पति अस्पताल में उनसे मिले। 15 मई को अधिकारियों ने बताया कि बीमारी की वजह से गिरिजम्मा की मौत हो गई है गिरिजाम्मा के भतीजे नागू के अनुसार, अस्पताल के अधिकारियों ने परिवार को शवगृह में उनका शव तलाश करने को कहा। वो कहते हैं, "मेरे चाचा को अपनी पत्नी के जैसा ही एक शव मिला। अस्पताल के अधिकारियों ने एक डेथ सर्टिफिकेट भी जारी कर दिया था। परिवार वाले उस शव को जग्गैयापेट ले गए और उसी दिन अंतिम संस्कार कर आए। गिरिजाम्मा के बेटे रमेश की भी 23 मई को कोरोना से मृत्यु हो गई थी। हमने दोनों के लिए एक प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया था। उधर जैसे ही गिरिजम्मा का इलाज पूरा हुआ वह पूरी तरह ठीक होकर अपने घर वापस आ गईं। चूंकि घरवालों ने तो उन्हें मरा हुआ समझ लिया था इसलिए कोई भी वापस अस्तपताल नहीं गया। लेकिन जैसे ही गिरिजम्मा वापस आईं तो उनके परिवार वाले और पड़ोसी दोनों देखकर हैरान रह गए। नागू हास्पिटल व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए पूछते हैं कि गिरिजम्मा को मरा हुआ बता दिया गया, आखिर इसमें किसी गलती थी।
रिपोर्ट- कृष्णा डेस्क