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कोविशील्ड व कोवैक्सीन में कौन सा टीका लगवाना है सबसे सुरक्षित, आइए जानें दोनों वैक्सीन्स के साइड-इफेक्ट्स

"क्या हैं दोनों वैक्सीन के साइड-इफेक्ट्स, जानें कोविशील्ड वैक्सीन की खासियत, जानें दोनों वैक्सीन कितनी हैं प्रभावी"
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नई दिल्ली (ब्यूरो)। भारत में एक मई से 18 साल से ऊपर के सभी लोगों के लिए टीकाकरण अभियान की शुरुआत हो चुकी है। हालांकि अभी कई राज्यों में वैक्सीन की आपूर्ति नहीं हो सकी है, इसलिए टीकाकरण में थोड़ा समय लग सकता है, लेकिन विशेषज्ञ कहते हैं कि जैसे ही टीका उपलब्ध हो, तो जरूर लगवा लें। फिलहाल भारत में कोविशील्ड और कोवैक्सीन का ही इस्तेमाल हो रहा है। रूस की 'स्पूतनिक-वी' को भी मंजूरी मिल चुकी है, लेकिन यह वैक्सीन लगवाने के लिए आपको थोड़ा इंतजार करना पड़ेगा। ऐसे में आइए जानते हैं कोविशील्ड या कोवैक्सीन में से कौन सा टीका लगवाना आपके लिए सबसे सुरक्षित है और दोनों के साइड-इफेक्ट्स क्या-क्या हैं।

जानें कोविशील्ड वैक्सीन की खासियत-
कोविशील्ड एक जेनेटिक वैक्सीन है। इसका विकास चिंपाजी में सर्दी पैदा करने वाले सामान्य वायरस (एडेनोवायरस) के कमजोर संस्करण से किया गया है। जब इसे शरीर में इंजेक्शन के जरिये डाला जाता है तो इससे कोई बीमारी नहीं होती, बल्कि यह प्रतिरक्षा तंत्र को एंटीबॉडी बनाने के लिए प्रेरित करता है और जब कोरोना वायरस का संक्रमण होता है तो एंटीबॉडी को उसपर हमला कर उसे खत्म करने के लिए उकसाता है। 

जानें कोवैक्सीन की खासियत-
कोवैक्सीन एक इनएक्टिवेटेड वैक्सीन है, जिसे बीमारी पैदा करने वाले वायरस को निष्क्रिय करके बनाया गया है। यह वैक्सीन लोगों को संक्रमित करने में सक्षम नहीं है, बल्कि यह प्रतिरक्षा तंत्र को असली वायरस को पहचानने के लिए तैयार करता है और संक्रमण होने पर उससे लड़ता है और उसे खत्म करने की कोशिश करता है। विशेषज्ञ कहते हैं कि इस वैक्सीन से कोरोना वायरस को खतरा है, इंसानों को नहीं। 

आइए जानें दोनों वैक्सीन कितनी हैं प्रभावी-
कोविशील्ड की प्रभावकारिता 70 फीसदी है, जिसे एक महीने बाद दूसरी डोज लेने के साथ 90 फीसदी तक बढ़ाया जा सकता है। वहीं कोवैक्सीन की प्रभावकारिता 78 फीसदी है। हाल ही में हुए एक शोध में यह दावा किया गया है कि यह वैक्सीन घातक संक्रमण और मृत्यु दर के जोखिम को 100 फीसदी तक कम कर सकती है।
 
कोरोना के नए वैरिएंट्स पर कितनी प्रभावी हैं ये वैक्सीन-
हाल ही में हुए शोध में यह दावा किया गया है कि कोवैक्सिन कोरोना के सभी वैरिएंट्स के खिलाफ कारगर है। वहीं कोविशील्ड वैक्सीन की भारतीय निर्माता सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने भी दावा किया है कि कोविशील्ड को कोरोना के खिलाफ बहुत अधिक प्रभावी पाया गया है। यह नए वैरिएंट के खिलाफ भी अधिक प्रभावी है। 

क्या हैं दोनों वैक्सीन के साइड-इफेक्ट्स-
कोविशील्ड और कोवैक्सीन, दोनों के ही साइड-इफेक्ट्स लगभग एक जैसे हैं। इनसे इंजेक्शन वाली जगह पर दर्द और सूजन के साथ ही हल्का बुखार, सर्दी-जुकाम, सिरदर्द, हाथ-पैर में दर्द आदि हो सकता है। विशेषज्ञ कहते हैं कि इन साइड-इफेक्ट्स से घबराने की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है, बल्कि डॉक्टर से परामर्श लें और लक्षण के अनुसार दवा लें, आप दो से तीन दिन में बिल्कुल ठीक हो जाएंगे। हालांकि कई लोग ऐसे भी हैं, जिन्हें वैक्सीन लगवाने के बाद कोई भी समस्या नहीं हुई। इसलिए आप दोनों में से कोई भी वैक्सीन टीकाकरण केंद्र पर जाकर लगवा सकते हैं। 

रिपोर्ट- नई दिल्ली डेस्क

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