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यूपी पंचायत चुनाव 2021: ग्राम प्रधान व जिला पंचायत सदस्य की सीटों के आरक्षण पर मिली सबसे ज्यादा आपत्तियां

"ग्राम प्रधान के पद की सीटों के लिए तय हुए आरक्षण पर ही सबसे ज्यादा दावे और आपत्तियां की जा रही हैं दाखिल, दूसरे नम्बर पर जिला पंचायत सदस्य का पद, तीसरे नम्बर पर क्षेत्र पंचायत सदस्य व ब्लाक प्रमुख के पदों पर हुए आरक्षण पर ऐतराज"

खबरें आजतक Live

लखनऊ (ब्यूरो, उत्तर प्रदेश)। यूपी में होने जा रहे त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव के लिए सबसे ज्यादा ग्राम प्रधान और जिला पंचायत सदस्य की सीटों के आरक्षण पर ही एतराज किया जा रहा है। 'खबरें आजतक Live' द्वारा मथुरा, प्रयागराज, बाराबंकी, मेरठ, शामली, बुलंदशहर आदि जिलों के जिला पंचायतराज अधिकारियों के मुताबिक पहले नम्बर पर ग्राम प्रधान के पद की सीटों के लिए तय हुए आरक्षण पर ही सबसे ज्यादा दावे और आपत्तियां दाखिल की जा रही हैं। दूसरे नम्बर पर जिला पंचायत सदस्य का पद है, तीसरे नम्बर पर क्षेत्र पंचायत सदस्य व ब्लाक प्रमुख के पदों पर हुए आरक्षण पर ऐतराज उठाया जा रहा है। सबसे ज्यादा अहमियत इन्हीं दोनों पद की हैं। ग्राम प्रधान और जिला पंचायत सदस्य के पदों के लिए सीटों के तय हुए आरक्षण पर सबसे ज्यादा ऐतराज उठने का कारण पूछे जाने पर एक जिला पंचायतराज अधिकारी ने कहा-' रुतबे, हैसियत, अधिकार, सियासी अहमियत के लिहाज से ग्राम प्रधान के पद में न सिर्फ गांव की सरकार चलाने के ख्वाहिशमंद यानि भावी प्रत्याशियों की दिलचस्पी रहती है बल्कि राजनीतिक दल भी इस ओहदे को महत्वपूर्ण मानते हुए ज्यादा से ज्यादा लोगों को जिताने की जुगत में रहते हैं। जिला पंचायत सदस्य जनता से सीधे चुने जाने के बाद अपने ही बीच से जिला पंचायत अध्यक्ष चुनते हैं। जिला पंचायत अध्यक्ष की भी जिले के ग्रामीण इलाकों के विकास में अहम भूमिका रहती है।

इसलिए सत्तारूढ़ और विपक्षी दोनों ही राजनीतिक दल चाहते हैं कि अधिकांश जिलों में उनके अपने ही जिला पंचायत अध्यक्ष बनें। आरक्षण फार्मूले में बदलाव से बहुतों के समीकरण बिगड़ गये हैं। जिला पंचायतराज अधिकारियों ने कहा-'इस बार आरक्षण के फार्मूले में बड़ा बदलाव हुआ है, जिसकी वजह से तमाम अनारक्षित सीटें एससी और ओबीसी के लिए आरक्षित हो गईं। तमाम गांवों में जो पुराने ग्राम प्रधान रह चुके हैं या जो लोग तैयारी कर रहे थे और आरक्षण नीति से मायूस हुए, ऐसे ही लोग ज्यादा ऐतराज कर रहे हैं। इस बार कम आबादी वाले वर्गों को आरक्षण का ज्यादा लाभ मिल रहा है। चक्रानुक्रम का मंतव्य भी यही है। सोमवार 8 मार्च दावे और आपत्तियां दाखिल करने का आखिरी दिन था। सोमवार 8 मार्च पदवार सीटों के आरक्षण की प्रकाशित हुई अंतिम सूची पर दावे और आपत्तियां दाखिल करने का आखिरी दिन था। इसके बाद 9 मार्च को विकास खण्ड कार्यालय, जिलाधिकारी कार्यालय और जिला पंचायतराज अधिकारी कार्यालय में दाखिल किए गए दावे और आपत्तियों का संकलन किया जाएगा और फिर 10 मार्च से 12 मार्च के बीच इन दावे और आपत्तियों का निस्तारण किया जाएगा। 14 मार्च को निस्तारण के बाद अंतिम सूची प्रकाशित कर दी जाएगी।

रिपोर्ट- लखनऊ डेस्क

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