"सरकार द्वारा लाख कवायद के बावजूद भी किसान अपनी धान की फसल बेचने को लेकर हुए मजबूर"
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किसानों का सनसनीखेज आरोप हैं कि मिलीभगत व सेटिंग के तहत मील से धान की खरीद होती है, जिसमें धान की ढ़ुलाई के नाम पर बड़ें पैमाने पर जमकर धांधली होती हैं। क्रय केंद्र पर मौजूद किसानों का कहना है कि उच्चाधिकारीयों की मिली भगत के कारण भ्रष्ट अधिकारियों पर कोई कार्यवाही नहीं होती। किसानों ने बताया कि उच्चाधिकारियों से बार बार शिकायत के बावजूद कार्यवाही न होने से किसानों को सिर्फ हताशा मिलती हैं। एक तरफ सरकार किसानों के हित के लिए तमाम योजनाएं लाई है और उन योजनाओं को जमीन पर उतारने के लिए तमाम कोशिशें कर रही है। लेकिन भ्रष्ट अधिकारियों के चलते सरकार की मंशा पर अधिकारी पानी फेर रहे हैं और सरकार को बदनाम कर रहे हैं अब देखना यह है कि किसानों की हित में सरकार भ्रष्ट अधिकारियों व कर्मचारियों को यह सजा देती है क्या किसानों का धान खरीदेगी सरकार यह अब एक बड़ा सवाल बनकर रह गया है।
इस संबंध में मार्केटिंग इंस्पेक्टर प्रेमलता मिश्रा ने बताया कि धान खरीदने के लिए बुलाया गया था। पर छुट्टी होने की वजह से पोर्टल बंद रहता है, जिससे धान की खरीद नहीं हो सकती है।
रिपोर्ट- विनोद कुमार गुप्ता