"गांव में ग्राम प्रधान, बीडीसी और जिला पंचायत सदस्यों के लिए आने वाली आरक्षण सूची का किया जा रहा है इंतजार, जिसके बाद ही यह तय हो सकेगा कि कौन से वार्ड और ग्राम सभा में किस जाति के लिए चुनाव लड़ने को सीट की गयी हैं अरक्षित"
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लखनऊ (ब्यूरो, उत्तर प्रदेश)। यूपी में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की सरगर्मियां तेज हैं। एक तरफ जहां प्रत्याशियों ने अपनी कमर कस ली है वहीं पुलिस प्रशासन भी पूरी तरह से तैयार है। अब गांव में ग्राम प्रधान, बीडीसी और जिला पंचायत सदस्यों के लिए आने वाली आरक्षण सूची का इंतजार किया जा रहा है। जिसके बाद ही यह तय हो सकेगा कि कौन से वार्ड और ग्राम सभा में किस जाति के लिए चुनाव लड़ने को सीट अरक्षित की गयी है। हालांकि इस लिस्ट के लिए 22 जनवरी की तारीख सुनिश्चित की गयी थी जो कि बीत चुकी है, लेकिन अभी तक आरक्षण लिस्ट के बारे में कोई भी सूचना जारी नहीं हुई है। जानकारी के अनुसार पंचायत चुनाव के आरक्षण को लेकर अभी तक सरकार में बैठकें चल रही हैं। ग्राम विकास राज्य मंत्री आनंद स्वरुप शुक्ला के मुताबिक 15 फ़रवरी तक स्थिति साफ हो सकती है। ऐसे में माना यही जा रहा है कि पंचायत चुनाव में अभी और देरी हो सकती है।
वहीं दूसरी तरफ पुलिस, शस्त्र लाइसेंस के सत्यापन के कार्य में जुटी हुई है, इसके साथ ही नए सिरे से गांव के दबंगों को भी चिन्हित किया जा रहा है। आमतौर पर यह शिकायत आती रहती थी कि चुनाव के दौर में पुलिस उन लोगों को भी पाबंद कर देती है, जिनका नाम लिस्ट में गलत दर्ज हो गया है। इसी शिकायत के चलते पुलिस ने ये जरुरी कदम उठाया है। डीआईजी प्रीतिंदर सिंह ने बताया कि पंचायत चुनाव की वजह से ग्रामीण क्षेत्र काफी संवेदनशील हैं। ऐसे में गांव में तनाव की शिकायतें भी बढ़ने लगती हैं। लोगों को भड़का कर आपसी संघर्ष की घटना भी घटित हो जाती है। इसको लेकर अब सभी थानों को नए सिरे से गांव के दबंगों को चिन्हित करने और सत्यापन करने के आदेश दिए गए हैं। पुलिस उन लोगों की लिस्ट तैयार कर रही है जिनका नाम पूर्व में किसी विवाद में आया हो या उनके खिलाफ कोई कार्रवाई हुई हो। ऐसे लोगों की गांववार लिस्ट बनाकर समय से पाबंद किया जाएगा। उन्होंने कहा कि अनुमानित तौर पर यह काम दस दिनों के अंदर हो जाएगा।
रिपोर्ट- लखनऊ डेस्क