"लाख दावों के बाद भी सुधरने का नाम नहीं ले रही सरकारी अस्पताल की बदतर चिकित्सा व्यवस्था, इलाज के नाम पर लूट रहे मरीज, मालामाल हो रहे दलाल व डॉक्टर"
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सिकन्दरपुर (बलिया, उत्तर प्रदेश)। योगी सरकार के लाख दावों के बाद भी सरकारी अस्पताल की चिकित्सा व्यवस्था सुधरने का नाम ही नहीं ले रही है। अस्पताल में उपचार कराने पहुंचने वाले मरीजों को डाक्टर चेक करने के बाद काफी संख्या मे बाहर की दवा लिख रहे हैं, जबकि शासन से स्पष्ट निर्देश है कि उपचार कराने आएं मरीजों को बाहर की दवा बिल्कुल न लिखी जाए। स्थानीय सीएचसी में डाक्टरों का टोटा होने के साथ ही शासन द्वारा मुहैया कराये जाने वाले मेडिकल संसाधनों का भी लाभ मरीजों को नहीं मिल पा रहा है। हर माह दवा के नाम पर भारी भरकम बजट मिलने के बाद भी मरीजों को मजबूरी मे बाहर की दवा खरीदनी पड़ रही है। चिकित्सालय में मरीज व उनके परिजन दवा न मिलने की शिकायत कई बार कर चुके है।
इसके बाद भी शिकायत पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। लोगों का कहना है कि एक तो समय से डाक्टर नहीं मिलते, अगर मिल भी जाते है तो बाहर की दवा लिख देते है। शिकायत पर भी कोई सुनवाई नहीं होती। इस तरह की समस्या से रोज ही मरीजों को दो चार होना पड़ता है। इसके बाद भी जिम्मेदार अफसर गहरी नींद में कुंभकरण की तरह सोए हुए हैं। अस्पताल में बाहर से दवा लिखे जाने के पीछे सारा खेल कमीशन का है। क्योंकि अस्पताल में तैनात डाक्टरों का सभी मेडिकल स्टोरों से अलग अलग कमीशन बंधा हुआ है। इसलिए अधिक से अधिक कमीशन पाने के चक्कर में डाक्टर भी धड़ल्ले से बाहर की दवा लिख रहे है। ऐसे में मरीज लुट रहे है वहीं दलाल व डाक्टर मालामाल हो रहे है।
रिपोर्ट- विनोद कुमार गुप्ता