"तब्लीगी समागम की मीडिया रिपोर्टिंग पर केंद्र के हलफनामे से संतुष्ट नहीं है न्यायालय"
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नई दिल्ली (ब्यूरो) सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कोविड-19 महामारी की शुरुआत के दौरान तब्लीगी जमात मंडली पर मीडिया रिपोर्टिंग से संबंधित एक मामले में केंद्र के हलफनामे पर कड़ी नाराजगी व्यक्त की है। शीर्ष अदालत ने केंद्र से कहा कि वह टीवी पर पेश की जा रही सामग्री के मुद्दों को देखने के लिए एक तंत्र विकसित करें या फिर अदालत यह काम किसी बाहरी एजेंसी को सौंप दें। प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि अदालत इस मामले में केंद्र के हलफनामे से खुश नहीं है। साथ ही पूछा कि सरकार के पास इस तरह की शिकायतों को सुनने के लिए केबल टीवी नेटवर्क अधिनियम के तहत कौन सी शक्तियां हैं? और कैसे वह केबल टीवी की सामग्री को नियंत्रित कर सकती है।
कोर्ट ने कहा कि आप के हलफनामे में इसका कोई जिक्र नहीं है। दूसरा मुद्दा यह है कि ऐसी शिकायतों से निपटने के लिए आप क्या कदम उठा सकते हैं? आपके पास अधिनियम के तहत शक्ति है। यदि नहीं है तो आप इसके लिए एक प्राधिकरण बनाएं, अन्यथा हम इसे एक बाहरी एजेंसी को सौंप देंगे। शीर्ष अदालत ने केंद्र को तीन हफ्तों में फर्जी खबरों के खिलाफ क्या कार्रवाई की जा सकती है। यह बताने के लिए भी कहा है। इससे पहले अगस्त में सुप्रीम कोर्ट ने जमीयत उलेमा ए हिंद की याचिका की सुनवाई के दौरान कहा था कि जब तक हम निर्देश नहीं देते हैं, तब तक सरकारे काम नहीं करती हैं। इसके अलावा शीर्ष अदालत ने इस याचिका में एनबीए को एक पक्ष बनाने का सुझाव दिया था। वही प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया पीसीआई के वकील ने पीठ के समक्ष दलील थी कि उसने झूठी रिपोर्टिंग के 50 मामलों का संज्ञान लिया है।
रिपोर्ट- नई दिल्ली डेस्क