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यूपी पंचायत चुनाव 2020: सभी ग्राम प्रधानों को चुनाव से पहले करना होगा ये काम, वरना हो जाएगा बड़ा नुकसान

"पंचायतों में अब तक 66 प्रतिशत धनराशि ही व्यय कर कराए गए हैं विकास कार्य, शेष 34 प्रतिशत बची धनराशि से कैसे पूर्ण कराए जा सकेंगे विकास कार्य"

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लखनऊ (ब्यूरो, उत्तर प्रदेश)। ग्राम पंचायतों का कार्यकाल 25 दिसंबर को समाप्त हो रहा है। प्रधानों के कार्यकाल में सिर्फ 45 दिन शेष हैं।  ऐसे में पंचायतों में अब तक 66 प्रतिशत धनराशि व्यय कर विकास कार्य कराए गए हैं। शेष 34 प्रतिशत बची 18 करोड़ रुपये धनराशि से विकास कार्य कैसे पूर्ण कराए जा सकेंगे। मेरठ के जिला पंचायत राज अधिकारी आलोक कुमार सिन्हा ने बताया कि वर्तमान में जिले की 479 ग्राम पंचायतों में आवंटित की गई धनराशि से स्कूलों में कायाकल्प कार्य, सड़क, सीसी, खड़ंजा, नाली निर्माण, सामुदायिक शौचालय, शौचालय निर्माण, वॉटर हार्वेस्टिंग, हैंडपंप रिबोर, खाद्य के लिए गड्ढे खोदने का कार्य कराया गया है। इन कार्यों को कराने में पंचायतों से लगभग 66 प्रतिशत धनराशि व्यय की है। अभी भी पंचायतों में लगभग 34 से 40 प्रतिशत तक धनराशि शेष है। उन्होंने बताया कि ग्राम पंचायतों का 25 दिसंबर में कार्यकाल समाप्त होने वाला है। इससे पूर्व ही शेष बची आवंटित धनराशि से भी पंचायतों में कार्य कराए जाने हैं।  जिला पंचायत राज अधिकारी ने बताया कि शासन ने वर्ष 2020 में पंचायतों में विकास, निर्माण कार्य कराए जाने को 53 करोड़ रुपये धनराशि पंचायतों में भेजी गई। उसमें से प्रधानों ने अपनी-अपनी पंचायतों में से 60 से 66 प्रतिशत 34.98 करोड़ रुपये धनराशि व्यय कर ली है। उसके बाद भी ग्राम पंचायतों के खातों में अभी भी लगभग 18.02 करोड़ रुपये अवशेष बचे हैं। इस धनराशि को भी पंचायतों में कार्य कर व्यय किया जाना है।


कोविड काल में हुई खरीद की जांच से ग्राम पंचायतों में बढ़ी हलचल-
शासन द्वारा एसआईटी गठित कर कराई गई जांच में कई जनपदों में कोविड कॉल में की गई खरीद में गड़बड़ी पाए जाने के पश्चात शासन द्वारा अवशेष भुगतान रोके जाने के आदेश निर्गत किए जाने से ग्राम पंचायतों में हलचल तेज हो गई है। डीपीआरओ पर निर्देश जारी करने के पश्चात पंचायत सचिवों में जांच के परिणाम को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं शुरू हो गई हैं। कोविड काल में ग्राम पंचायतों द्वारा की गई इंफ्रारेड थर्मामीटर एवं पल्स ऑक्सीमीटर की खरीद में गड़बड़ी की शिकायतों के चलते शासन द्वारा एसआईटी गठित कर जांच कराई गई थी। जांच के दौरान कई जनपदों में गड़बड़ी सामने आने के पश्चात शासन ने सभी जनपदों में खरीद से संबंधित विवरण उपलब्ध कराने तथा अवशेष भुगतान पर रोक लगाने के निर्देश दिए हैं। इसे लेकर डीपीआरओ द्वारा पंचायत सचिवों को पत्र जारी किया गया है। शासन जारी निर्देशों से पंचायत सचिवों में हलचल शुरू हो गई है। जनपद में भी कोविड काल में खरीदे गए दोनों उपकरण के मूल्य में तमाम ग्राम पंचायतों में काफी अंतर होने की बात सामने आई है। इससे अधिक मूल्य पर उक्त उपकरण खरीदने वाले पंचायत सचिवों की टेंशन बढ़ गई है। डीपीआरओ नीरज कुमार सिन्हा ने बताया कि शासन द्वारा मांगी गई सूचना तैयार कर भेजी जा रही है।

रिपोर्ट- लखनऊ डेस्क

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