"1952 से यह पहला मौका होगा जब 68 वर्षों बाद यूपी के लखीमपुर जिले के निघासन में ग्राम प्रधान का नहीं होगा चुनाव"
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लखीमपुर खीरी (ब्यूरो, उत्तर प्रदेश)। 1952 से यह पहला मौका होगा जब 68 वर्षों बाद यूपी के लखीमपुर जिले के निघासन में ग्राम प्रधान का चुनाव नहीं होगा। निघासन और इसके अठारह मजरों के बाशिंदे इस बार त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में वोट नहीं डाल पाएंगे। सन 1952 में दयाशंकर पांडे की प्रधानी से शुरू हुई इस ग्राम पंचायत की आखिरी प्रधान गीतादेवी होंगी। इसकी वजह दिसंबर 2019 से निघासन को टाउन एरिया का दर्जा मिलना है। इसमें शामिल किए गए रकेहटी गांव और इसके सुक्खनपुरवा मजरे के लोग भी अपने यहां के प्रधानी चुनाव में वोट नहीं डाल सकेंगे। रकेहटी और सुक्खनपुरवा गांव भी निघासन नगर पंचायत में शामिल किए गए हैं।
इस साल के आखिर में होने जा रहे पंचायत चुनावों में निघासन शामिल नहीं होगा। हालांकि अभी यहां नगर पंचायत कार्यालय नहीं बन पाया है और न ही अफसरों और स्टाफ की तैनाती हो सकी है लेकिन टाउन एरिया घोषित हो जाने के बाद यहां यह बदलाव जरूर आ गया है। सन 1952 में शुरू हुए पंचायती चुनावों में दयाशंकर पांडे इस ग्राम पंचायत के पहले ग्राम प्रधान बने थे। बुजुर्ग लोग बताते हैं कि तब चुनाव की बजाय हाथ उठाकर प्रधान चुन लिए जाते थे। दस दिसंबर 2015 को हुए चुनावों में गीतादेवी ने पूर्व ग्राम प्रधान और अपनी प्रतिद्वंदी किशनावती को 509 वोटों से शिकस्त देकर सीट कब्जाई थी। तब शायद उनको भी यह गुमान नहीं रहा होगा कि उनका नाम यहां के इतिहास में आखिरी ग्राम प्रधान के रूप में दर्ज होने वाला है।
निघासन समेत यहां के अठारह मजरों के लोग भी ग्राम पंचायत चुनाव में अपना वोट नहीं डाल पाएंगे। इनमें मोहनलालपुरवा, राजारामपुरवा, हीरालालपुरवा, भजनपुरवा, छींटनपुरवा, बिहारीपुरवा, बस्तीपुरवा, बोझिया, हरनाम बोझिया, परागीपुरवा, सुर्जपुर, प्रीतमपुरवा, नकटहा, नकटहापुरवा, बुद्धीपुरवा, चौधरीपुरवा, टापरपुरवा और प्रेमनगर के बाशिंदे भी निघासन टाउन एरिया का हिस्सा बन जाने से ग्राम पंचायत चुनाव में अपने प्रधान और वार्ड मेंबरों को नहीं चुन पाएंगे। हालांकि रकेहटी ग्राम पंचायत में से खुद रकेहटी गांव और उसका सुक्खनपुरवा मजरा निघासन टाउन एरिया में शामिल कर लिया गया है लेकिन इस ग्राम पंचायत का नाम अभी भी रकेहटी ही चल रहा है। एसडीएम ओमप्रकाश गुप्ता बताते हैं कि अभी तो रकेहटी के नाम से ही ग्राम पंचायत चल रही है। अगर शासन का निर्देश होगा तो इसे कोेई और नाम दिया जा सकता है या फिर इसके मजरों को पड़ोस की ग्राम पंचायत में शामिल किया जा सकता है या रकेहटी नाम ही चलता रह सकता है।
2015 तक हुए ग्राम पंचायत चुनावों में निघासन भी शामिल हुआ करता था। यहां के लोग लंबे अरसे से तहसील मुख्यालय और तमाम अन्य सरकारी दफ्तर तथा सुविधाएं होने के कारण इसको टाउन एरिया बनाने की मांग कर रहे थे। 2006 में पहली बार इसे नगर पंचायत बनाने की फाइल शासन को भेजी गई थी। तेरह साल तक लखनऊ से निघासन तक दर्जनों चक्कर काटने के बाद आखिरकार तीन दिसंबर 2019 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसे नगर पंचायत बनाना मंजूर कर लिया। पंद्रह वार्डों वाली इस टाउन एरिया में रकेहटी और इसके सुक्खनपुरवा गांव को भी शामिल किया गया है।
रिपोर्ट- लखीमपुर खीरी डेस्क