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Elections In Maharashtra: वर्चस्व की लड़ाई लड़ रहा ठाकरे परिवार, बालासाहब की तीसरी पीढ़ी के इन दो नौजवानों की आसान नहीं होंगी राह

मुंबई भाजपा अध्यक्ष आशीष शेलार ने तो अमित को समर्थन की खुली घोषणा कर दी है अब शिंदे गुट की तरफ से भी सदा सरवणकर को पर्चा न भरने के लिए समझाया जा रहा हैं, शिवसेना (यूबीटी) ने भी इस सीट से अपना उम्मीदवार उतार दिया है। यदि इस सीट से वर्तमान विधायक सदा सरवणकर अपनी उम्मीदवारी से पीछे नहीं हटे तो अमित ठाकरे की भी आसान नहीं होगी राह

खबरें आजतक Live 

मुख्य अंश (toc)

दोनों ठाकरे पुत्रों की राह नहीं होंगी आसान

मुंबई (ब्यूरो डेस्क)। बालासाहब ठाकरे की तीसरी पीढ़ी के दो नौजवान इस बार मुंबई के दो अलग-अलग क्षेत्रों से चुनाव मैदान में हैं। पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के पुत्र आदित्य ठाकरे अपनी पुरानी सीट वरली से, तो राज ठाकरे के पुत्र अमित ठाकरे माहिम से। लेकिन इन सीटों पर इन दोनों ठाकरे पुत्रों के प्रतिद्वंद्वियों को देखकर लगता नहीं कि इस चुनाव में उनकी राह आसान होगी।

खुद कभी भी नहीं लड़ा चुनाव

शिवसेना संस्थापक बालासाहेब ठाकरे ने खुद कोई चुनाव नहीं लड़ा। वह 1995 में बनी शिवसेना भाजपा गठबंधन सरकार को रिमोट कंट्रोल से चलाने के लिए जाने जाते थे। उनके पुत्र उद्धव ठाकरे और भतीजे राज ठाकरे ने भी कोई चुनाव नहीं लड़ा। उद्धव ठाकरे नवंबर 2019 में मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद छह महीने बीतने के करीब पहुंचने पर मई 2022 में विधान परिषद सदस्य बन सके थे।

बदली हैं पुरानी परंपरा

लेकिन उन्होंने अपने पुत्र आदित्य ठाकरे को 2019 के ही विधानसभा चुनाव में वरली क्षेत्र से चुनाव लड़वाया था। तब आदित्य ठाकरे परिवार से कोई भी चुनाव लड़ने वाले पहले सदस्य बने थे। चूंकि उस समय शिवसेना-भाजपा का गठबंधन था, इसलिए आदित्य को तब भाजपा का तो समर्थन मिला ही था, आदित्य के चाचा राज ठाकरे ने भी वरली से मनसे का कोई उम्मीदवार नहीं उतारा था।

मिलिंद देवरा की रणनीति

🔘 उस समय शिवसेना के ही विधायक सुनील शिंदे का टिकट काटकर आदित्य को टिकट दिया गया था, और 2014 में शिवसेना से हारनेवाले राकांपा नेता सचिन अहीर भी तब तक शिवसेना में आ चुके थे।

🔘 इसलिए आदित्य ठाकरे राकांपा उम्मीदवार सुरेश माने के विरुद्ध करीब 60,000 के अंतर से चुनाव जीते थे। लेकिन अब शिवसेना में विभाजन हो चुका है।

🔘 भाजपा भी शिवसेना (यूबीटी) का विरोधी दल है। साथ ही मनसे ने भी राज ठाकरे के करीबी संदीप देशपांडे को वरली से ही टिकट दे दिया है। बात इतनी ही नहीं है।

🔘 शिवसेना (शिंदे) ने अपने राज्यसभा सदस्य एवं दक्षिण मुंबई से सांसद रह चुके मिलिंद देवरा को वरली से अपना उम्मीदवार बनाया है।

🔘 मिलिंद देवरा कांग्रेस के दिग्गज नेता एवं दक्षिण मुंबई का कई बार प्रतिनिधित्व कर चुके स्वर्गीय मुरली देवरा के पुत्र हैं।

भाजपा को हैं मिलिंद से उम्मीदें 

मुरली देवरा कांग्रेस के कोषाध्यक्ष भी रहे थे, और उनकी मुंबई के अभिजात्य वर्ग पर अच्छी पकड़ रही है। वरली विधानसभा क्षेत्र में इसी वर्ग की बहुलता है, और यह क्षेत्र उन्हीं के संसदीय चुनाव क्षेत्र का हिस्सा रहता आया है। शिंदे और भाजपा को उम्मीद है कि मिलिंद इस अभिजात्य वर्ग के वोट आसानी से खींच सकते हैं।

मराठी वोट भी नहीं हैं सुरक्षित

इसके साथ ही महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) से संदीप देशपांडे की उम्मीदवारी घोषित होने के कारण आदित्य ठाकरे के मराठी वोट भी सुरक्षित नहीं रह गए हैं। यानी मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने अपने प्रबल प्रतिद्वंद्वी उद्धव ठाकरे के पुत्र आदित्य को ऐसा घेर दिया है कि उनका अपनी पार्टी के दूसरे उम्मीदवारों के पक्ष में प्रचार के लिए निकलना भी मुश्किल हो जाएगा।

यें क्षेत्र रहा हैं शिवसेना का पुराना गढ़

इसी प्रकार माहिम क्षेत्र से राज ठाकरे के पुत्र अमित ठाकरे ने आज अपनी उम्मीदवारी दाखिल कर दी है। लेकिन राह उनकी भी आसान नहीं लग रही है। यह क्षेत्र भी शिवसेना का पुराना गढ़ माना जाता रहा है। यहां के वर्तमान विधायक सदा सरवणकर तीन बार इस क्षेत्र से चुनाव जीत चुके हैं। शिवसेना में विभाजन होने के बाद वह उद्धव ठाकरे का साथ छोड़कर एकनाथ शिंदे के साथ आ गए।

अब असमंजस में हैं CM शिंदे

शिंदे ने इस बार भी उन्हें माहिम क्षेत्र से ही उम्मीदवारी दी है। लेकिन अब राज ठाकरे के पुत्र अमित ठाकरे द्वारा भी इसी क्षेत्र से पर्चा दाखिल कर देने से मुख्यमंत्री शिंदे असमंजस में हैं। वह राज ठाकरे को नाराज नहीं कर सकते, और सदा सरवणकर भी अपना पर्चा भरने पर अड़े हैं।

रिपोर्ट- मुंबई ब्यूरो डेस्क

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