"सुबह से ही महिलाओं ने शुरु कर दिया था तुलसी विवाह की तैयारी, दो मंडपों में तुलसी माता व शालिग्राम का कराया विवाह संपन्न, महिलाओं ने तुलसी माता को सोलह श्रृंगार सामग्री के साथ ही चढ़ाई चुनरी"
खबरें आजतक Live |
रतसर (बलिया, उत्तर प्रदेश)। जनपद सहित ग्रामीण एवं नगर पंचायत क्षेत्रों में शुक्रवार की देर शाम एकादशी के पर्व पर तुलसी विवाह बड़ी धूमधाम व श्रद्धापूर्वक सनातन परंपरा के अनुसार मनाया गया।महिलाओं ने भजन-कीर्तन के साथ विधि-विधान से तुलसी विवाह संपन्न कराया। इसके बाद महिलाओं ने कन्यादान देकर एवं विवाह सम्पन्न कराकर सुख समृद्धि एवं सौभाग्य का आशीष मांगा। इस दौरान जमकर आतिशबाजी हुई। सुबह से ही महिलाओं ने तुलसी विवाह की तैयारी शुरु कर दी। दो मंडपों में तुलसी माता व शालिग्राम का विवाह संपन्न कराया। महिलाओं ने तुलसी माता को सोलह श्रृंगार सामग्री के साथ ही चुनरी आदि चढ़ाई और विवाह की रस्में अदा कर विधि-विधान से पूजन कर विवाह संपन्न कराया। इसके बाद महिलाओं ने तुलसी माता पर चढ़ी विंदी एक दूसरे को लगाई। लाल चुनरी से मंडप का सजावट विशेष आकर्षण का केन्द्र बना रहा। तत्पश्चात शाम होते ही मन्दिर में दीपक जलाकर रोशनी किया गया। धर्म ग्रंथों और मान्यताओं के अनुसार पं० धनेश शास्त्री ने बताया कि चार महीने पूर्व यानी आषाढ़ शुक्ल की देवशयनी एकादशी को भगवान विष्णु सोने के लिए चले जाते हैं और आज तक शयन में होते हैं। इस दौरान कोई भी शुभ कार्य आमतौर पर सम्पन्न नही कराया जाता है। उन्होंने बताया कि देवोत्थान एकादशी के दिन तुलसी विवाह के अवसर पर भगवान नींद से जागते हैं और इसी दिन से सभी प्रकार के शुभ कार्य शुरु हो जाते है। देवउठनी एकादशी के दिन माता तुलसी शालिग्राम की विवाह के साथ लक्ष्मी का पूजन किए जाने की परंपरा बनी हुई है।
रिपोर्ट- संवाददाता अभिषेक पाण्डेय