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धनतेरस: इस बार शनि प्रदोष के साथ मनाया जाएगा धनतेरस, होगी धन की पूर्ति, इस दिन क्या खरीदे क्या ना खरीदें, आइए जानें क्या है शास्त्रोक्त नियम

"लोगों के मन में उठते हैं सवाल, धनतेरस के दिन क्या करें क्या ना करें, क्या खरीदे क्या ना खरीदे, पूजा का मुहूर्त कब शुरू होगा और कब होगा खत्म, विस्तार से बता रहे हैं प्रख्यात ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा"

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नई दिल्ली (ब्यूरो)। धनतेरस त्यौहार को लेकर कई तरह के परंपराओं का पालन किया जाता हैं। लोगों के मन में धनतेरस के दिन क्या करें क्या ना करें। क्या खरीदे क्या ना खरीदे। पूजा का मुहूर्त कब शुरू होगा और कब खत्म होगा। इस तरह के कई सवाल लोगों के मन मे उठने लगते हैं, लेकिन अब आप को धनतेरस से जुड़े सभी सवालों का जवाब विस्तार से मिलेगा। धनतेरस से जुड़े विभिन्न सवालों का जवाब विस्तार से दे रहे हैं, प्रख्यात ज्योतिषाचार्य संजीव कुमार मिश्रा। ज्योतिषाचार्य ने बताया कि इस बार धनतेरस शनि प्रदोष के साथ मनाया जायेगा। धनतेरस कार्तिक मास के कृष्णपक्ष के त्रयोदशी को मनाया जाता है। धनतेरस को धन्वन्तरी जयंती के नाम से जाना जाता है। इस वर्ष यह त्योहार 22 अक्टूबर 2022 दिन शनिवार को मनाया जायेगा। मान्यता यह है की इस दिन आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति के जनक धन्वन्तरी देव समुद्र मंथन से अमृत कलश लेकर प्रगट हुए थे। जब समुद्र का मंथन हुआ था तो अमृत से भरा कलश लेकर निकले थे। यही कारण है की धनतेरस के दिन धातु का बर्तन खरीदने का परम्परा है। दूसरी बात यह है की धनतेरस से ही दीपावली मनाने का शुरुआत हो जाती है। इस दिन लक्ष्मी पूजा प्रदोष काल के दौरान किया जाना चाहिए, जो सूर्यास्त के बाद प्रारंभ हो जाता है।

स्थिर लगन में अगर धनतेरस का पूजा की जाये तो लक्ष्मी का वास होता है। साथ ही धन की प्राप्ति होती है। भगवान धन्वंतरि का जन्म पृथ्वी के रोग के नाश करने के लिए अवतार लिए है। शास्त्रोक्त नियम की बात करें तो धनतेरस कार्तिक माह के कृष्णपक्ष के उदयव्यापनी त्रयोदशी को मनाई जाती है। उदयव्यापनी त्रयोदशी का मतलब यह होता है सूर्य उदय त्रयोदशी में हो उसी दिन यह त्योहार मनाया जाता है। निर्णय यह है 23 अक्टूबर 2022 को यह संध्या काल त्रयोदसी तिथि नहीं मिल रहा है, जिसे यह त्योहार 22 अक्टूबर 2022 को ही मनाया जायेगा। सूर्योदय काल में सिर्फ त्रयोदसी मिलेगा। इस दिन दीप दान का विशेष महत्व है। धनतेरस पूजा के लिए शुभ मुहूर्त के बारें में ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा बताते हैं कि धनतेरस के दिन पूजा मुहूर्त संध्या 07:35 से 08:38 संध्या तक अवधि 01 घंटा 02 मिनट का रहेगा। वहीं प्रदोष काल संध्या काल 06:10 से 08:38 तक व वृषभ काल संध्या काल 07:35 से 09:37 तक रहेगा। तिथि के प्रारंभ के बारे में ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा बतातें हैं कि त्रयोदसी तिथि का प्रारंभ 22 अक्टूबर 2022 को 06:02 संध्या काल मे होगा। वहीं त्रयोदसी तिथि समाप्त 23 अक्टूबर 2022 को 06:03 संध्या काल तक होगा।

परम्परा यह है की धनतेरस के दिन परिवार के किसी भी सदस्य को असमय मृत्यु से बचने व बचाने के लिए मृत्यु के देवता यमराज के लिए घर से बाहर दीपक जलाया जाता है। ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा बताते हैं कि शास्त्रों के अनुसार माना जाता कि भगवान धन्वंतरि समुंद्र मंथन से निकले तो उनके हाथ में धातु का कलश था। इसलिए इस दिन सोना चांदी व पीतल का खरीदारी उत्तम रहता है। धनिया का खरीदारी करे तो धन की कमी नहीं होगा। ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि धनतेरस के दिन लोहा, स्टील, सीसा व एल्युमिनियम धातु की खरीदारी नहीं करें। माना जाता है इस दिन झाड़ू खरीदने के धन संपदा बढ़ता है। कारण यह है इस दिन माता लक्ष्मी का आगमन होता है। लक्ष्मी माता के आगमन के पहले इसी झाड़ू से सफाई किया जाता है। धनतेरस के दिन गाय की पूजा करना बहुत पवित्र माना जाता है। गायों को अवश्य खिलाएं और उन्हें गुड़ के साथ रोटी मिलाकर खिलाए। इस दिन कोई नजदीकी में बीमार हो उसको दवा खरीद कर दे ऐसा करने से अपना और परिवार का रोग का नाश होगा। ज्योतिष, वास्तु एवं रत्नों से जुड़ें जटिल समस्याओं व उचित परामर्श के लिए ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा से 8080426594 व 9545290847 पर सम्पर्क कर समस्याओं से निदान व उचित परामर्श प्राप्त कर सकतें हैं।

रिपोर्ट- नई दिल्ली डेस्क

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