"राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस (एनडीडी) पर राष्ट्रीय कृमि मुक्ति कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ वीरेंद्र कुमार द्वारा तिलक प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालय के प्रांगण में राष्ट्रीय कृमि मुक्ति कार्यक्रम का किया गया शुभारंभ"
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बलिया (ब्यूरो, उत्तर प्रदेश)। जिले में बुधवार को राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस (एनडीडी) पर राष्ट्रीय कृमि मुक्ति कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ वीरेंद्र कुमार द्वारा तिलक प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालय के प्रांगण में राष्ट्रीय कृमि मुक्ति कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। यह दवा 1 वर्ष से 19 वर्ष उम्र तक के सभी लोगों को खानी है। राष्ट्रीय कृमि मुक्ति कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ वीरेंद्र कुमार ने बताया कि जिले में 15 लाख से अधिक बच्चों और किशोरों को कृमि मुक्ति की दवा यानि पेट से कीड़े निकालने की दवा खिलाने के उद्देश्य से यह अभियान शुरू हुआ है। इस अभियान के तहत आंगनबाड़ी केन्द्रों, स्वास्थ्य केन्द्रों और पंजीकृत स्कूलों, ईंट भट्ठों पर कार्य करने वाले श्रमिकों और घुमन्तू लोगों को दवा खिलाई जा रही है। उन्होंने बताया कि किसी कारण आज जो बच्चे दवा नहीं खा पाए हैं। उनको मॉपअप राउंड में दवा खिलाई जाएगी। जनपद में मॉपअप राउंड 25 जुलाई से 27 जुलाई तक चलेगा। शिक्षक, आंगनबाड़ी व स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को यह दवा अपने सामने ही खिलाने के निर्देश हैं। नोडल अधिकारी ने बताया कि कुछ खाकर ही यह दवा खानी है। 3 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को यह दवा पीसकर पिलानी है जबकि 3 वर्ष से ऊपर के बच्चों को यह दवा चबाकर खानी है। उन्होंने बताया कि पेट से कीड़े निकलने की दवा एल्बेन्डाजॉल बहुत ही स्वादिष्ट बनाने की कोशिश की जाती है। इससे बच्चे आसानी से खा लेते हैं।
पहले यह दवा वनीला और मैंगो फ्लेवर में उपलब्ध थी जबकि इस बार यह स्ट्राबेरी फ्लेवर में मिल रही है। नोडल अधिकारी ने बताया कि बच्चे अक्सर कुछ भी उठाकर मुंह में डाल लेते हैं या फिर नंगे पांव ही संक्रमित स्थानों पर चले जाते हैं। इससे उनके पेट में कीड़े विकसित हो जाते हैं। इसलिए एल्बेन्डाजॉल खाने से यह कीड़े पेट से बाहर हो जाते हैं। अगर यह कीड़े पेट में मौजूद हैं तो बच्चे के आहार का पूरा पोषण कृमि हजम कर जाते हैं। इससे बच्चा शारीरिक व मानसिक रूप से कमजोर होने लगता है। बच्चा धीरे-धीरे खून की कमी एनीमिया समेत अनेक बीमारियों से ग्रस्त हो जाता है। कृमि से होने वाली बीमारियों से बचाव के लिए यह दवा एक बेहतर उपाय है। जिन बच्चों के पेट में पहले से कृमि होते हैं उन्हें कई बार कुछ हल्के प्रतिकूल प्रभाव हो सकते हैं। जैसे हल्का चक्कर, थोड़ी घबराहट, सिर दर्द, दस्त, पेट में दर्द, कमजोरी, मितली, उल्टी या भूख लगना। इससे घबराना नहीं है। दो से चार घंटे में स्वतः ही समाप्त हो जाती है। आवश्यकता पड़ने पर आशा या आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की मदद से चिकित्सक से संपर्क करें। उन्होंने बताया कि कृमि मुक्ति दवा बच्चे को कुपोषण, खून की कमी समेत कई प्रकार की दिक्कतों से बचाती है। इस अवसर पर जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ० आनन्द कुमार, डॉ० अतुल कुमार, जिला कार्यक्रम प्रबंधक डॉ० आर बी यादव, नीलेश वर्मा, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, स्कूल के प्रधानाचार्य एवं समस्त शिक्षक उपस्थित रहे।
रिपोर्ट- बलिया डेस्क