" किसान फोर्स बलिया के किसानों ने लिखा अपना त्राहिमाम संदेश, महामहिम राष्ट्रपति को दूसरा पत्र भेजकर किसान की फसलों एवम नस्लों पर उपकार करने की कहीं बात"
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रतसर (बलिया, उत्तर प्रदेश)। किसान आंदोलन के 6 माह पूरे हुए। किंतु लोकतंत्र की सरकार काले कृषि कानून को लागू करने के लिए अपने बाल हठ कर अड़ी हुई है। आंदोलन में लगभग 300 किसानों की शहादत भी केंद्र सरकार के कठोर हृदय को पिघला न सकी। यू० पी० के पूर्वांचल से किसानों के त्राहिमाम संदेश का यह दूसरा पत्र है। महामहीम जी अनाज का भंडार भरने वाले अन्नदाता अपने श्रम का मूल्य चाहतें हैं न कि भीख। किसान फोर्स बलिया का मानना है कि जिस सरकार को अपना विश्वास मत देकर सत्ता सौंपे हैं उसे झुकने न दिया जाय। ऐसा सोचकर कि यदि एक बार में तीनों कृषि कानून को वापस नहीं लिया जा सकता तो कम से कम फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के आधार पर सी 2 + फार्मूले को कानूनी दर्जा देकर किसान की दीन दशा में सुधार लाया जाय। शेष दो कानून जिसमें ठेकेदारी आधारित खेती एवं असीमित भंडारण जैसे कानून हैं। उस पर न्यायालय के द्वारा समाधान किया जाय। किसान फोर्स का महामहीम राष्ट्रपति से यह आशा बनी हुई है कि मामले पर सुनवाई कर किसान की फसलों एवम नस्लों पर उपकार करें। ये सारी बातें किसान फोर्स बलिया के संस्थापक ए० के० सिंह ने कही।
रिपोर्ट- बलिया ब्यूरो लोकेश्वर पाण्डेय
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