"ग्यारह राज्यों के साथ चर्चा करने की योजना, विकास की दौड़ में अभी भी अनेक जातियां पीछे"
![]() |
खबरें आजतक Live |
रोहिणी आयोग का मानना है कि वह जुटाए गए आंकड़ों और तथ्यों के आधार पर ओबीसी आरक्षण के उप-वर्गीकरण (सब-कैटेगराइजेशन) के पक्ष में है। राज्यों के साथ चर्चा भी इसी आधार पर होगी। रोहिणी आयोग के एक वरिष्ठ सदस्य के मुताबिक अभी हमने कोई श्रेणी नहीं बनाई है। कितनी श्रेणियां बनाना है, इस पर भी कोई फैसला नहीं लिया है। राज्यों से चर्चा के बाद ही इसका पूरा प्रारूप तय होगा। चूंकि राज्यों को इसे लागू करना है, ऐसे में उनकी राय जरूरी है। मौजूदा समय में देश में ओबीसी की करीब 26 सौ जातियां हैं, जिनके लिए नौकरियां और दाखिले में 27 फीसदी का आरक्षण है। बावजूद इसके पूरा आरक्षण ओबीसी की छह सौ जातियों में ही बंट जाता है। इनमें भी करीब सौ ऐसी जातियां है, जो इसका आधे से ज्यादा लाभ ले जाती हैं। हालांकि इनकी जनसंख्या भी ज्यादा है। गौरतलब है कि ओबीसी आरक्षण के बाद भी इसमें शामिल अनेक जातियां अभी भी विकास की दौड़ में पीछे हैं।
ऐसे में सरकार ने वर्ष 2017 में जस्टिस जी.रोहिणी की अगुवाई में आयोग का गठन कर ऐसी जातियों को आगे बढ़ाने के लिए आरक्षण का उप-वर्गीकरण करने का फैसला लिया है। जस्टिस जी.रोहिणी दिल्ली हाई कोर्ट की चीफ जस्टिस रह चुकी हैं। ओबीसी आरक्षण का वर्गीकरण देश के 11 राज्यों में पहले ही किया जा चुका है। हालांकि यह वर्गीकरण राज्य सूची के आधार पर किया गया है। जिन राज्यों में यह वर्गीकरण किया गया है, उनमें आंध्र प्रदेश, बंगाल, झारखंड, बिहार, हरियाणा, कर्नाटक, तेलंगाना, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, जम्मू-कश्मीर और पुडुचेरी शामिल हैं।
रिपोर्ट- नई दिल्ली डेस्क