Left Post

Type Here to Get Search Results !

सावधान: सस्ते लोन का झांसा देकर इस जीजा, साली व मंगेतर ने लोगों से इस तरह ठगे दस करोड़, सायबर क्राइम पुलिस ने किया गिरफ्तार

"सायबर क्राइम पुलिस ने शातिर गिरोह का किया पर्दाफाश, अब तक 10 हजार लोगों से कर चुके हैं 10 करोड़ रुपए की ठगी"
खबरें आजतक Live
भोपाल (ब्यूरो, मध्य प्रदेश) सायबर क्राइम पुलिस ने ऐसे शातिर गिरोह का पर्दाफाश किया है जो अब तक 10 हजार लोगों से 10 करोड़ रुपए की ठगी कर चुका है। यें गिरोह लोगों को सस्ते में लोन दिलाने का झांसा देता था। इसके लिए उसने नोएडा में कॉल सेंटर और तमाम वेबसाइट बना रखी थीं। पुलिस ने गिरोह के सरगना, उसकी पार्टनर मंगेतर और बहन को गिरफ्तार कर लिया है। गिरोह का चौथा सदस्य फरार है। तीनों आरोपी नोएडा में पकड़े गए। भोपाल की सायबर क्राइम पुलिस की गिरफ्त में आए ये आरोपी, लोगों को अपनी वेबसाइट और कॉल सेंटर का भरोसा दिलाकर उन्हें झांसे में लेते थे और फिर सस्ता लोन दिलाने के नाम पर उनसे धोखाधड़ी करते थे। पुलिस ने गिरोह के मास्टर माइंड डेविड कुमार जाटव, प्रबंधक मनीषा भट्ट,और नेहा भट्ट को गिरफ्तार किया है। एडीजी उपेंद्र जैन ने बताया कि सायबर पुलिस के पास पर्सनल लोन दिलाने के नाम पर धोखाधड़ी का मामला सामने आया था। इसमें एक युवक ने पुलिस से शिकायत की थी। पुलिस ने इस मामले में अज्ञात लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी का प्रकरण दर्ज कर जांच शुरू की। इस पूरे गिरोह का सरगना डेविड कुमार जाटव है। उसने ऑनलाइन वेबसाइट डिजाइन का कोर्स किया है और वेब सोल्यूशन नाम से आईटी कंपनी शुरू की। उसके बाद उसने फर्ज़ी काम शुरू कर दिए। ग्राहकों को लोन देने के लिए वो वेबसाइट का झांसा देता था और फिर उसका ऑनलाइन विज्ञापन गूगल ऐड में देता था।
इस धोखाधड़ी के लिए गिरोह ने नोएडा उत्तर प्रदेश में कॉल सेंटर खोल रखा था। वहां 25-30 लड़कियां काम करती थीं। इस कॉल सेंटर के माध्यम से ये गिरोह लोगों को फोन लगाकर पर्सनल लोन सस्ते इंटरेस्ट पर देने का लालच देता था। गिरोह की सदस्य नेहा भट्ट डेविड कुमार जाटव की मंगेतर है और अगस्त 2018 से उसके साथ काम कर रही है। डेविड की फर्जी कंपनियों का मैनेजमेंट यही देखती थी। गिरोह की तीसरी सदस्य मनीषा भट्ट, नेहा की बहन है। वो कॉल सेंटर प्रबंधन का काम देखती है। इस गिरोह का चौथा सदस्य कमल कश्यप है जो अभी फरार है। कमल ग्राहकों से पैसे लेने के लिए फर्जी बैंक अकाउंट और सिम कार्ड उपलब्ध कराता था। डेविड कुमार जाटव उसे ₹50000 प्रति फर्जी बैंक अकाउंट के आधार पर पेमेंट करता था।
एडीजी उपेंद्र जैन ने बताया कि यह गिरोह अपनी फर्जी वेबसाइट लोगों तक पहुंचाने के लिए गूगल पर ऐड देता था। इसकी दिन भर की लागत 30 से ₹40000 हुआ करती थी। कॉल सेंटर के लिए दो फ्लैट किराए से ले रखे थे जिसका मासिक किराया ₹1.50 लाख था। इस कॉल सेंटर में 25 - 30 लड़कियों को रखा हुआ था। उन्हें 10 से 15 हजार रुपए मासिक वेतन देता था। फोन करने वाली लड़कियां प्रत्येक ग्राहक का रिकॉर्ड मेंटेन करती थीं और उसे एक्सल नोट पर लिखती थीं। इन एक्सल फ़ाइलों की जांच करने पर पता चला कि गिरोह अब तक आठ से 10,000 लोगों से ₹10करोड़ ठग चुका है। इस मामले की पड़ताल के लिए सायबर पुलिस ने नोडल अधिकारी भी नियुक्त कर दिया है। इस गिरोह की ठगी का शिकार लोग इस अधिकारी को सूचना दे सकतें है। इन तीन आरोपियों के पास से पुलिस ने छह लैपटॉप, 25 मोबाइल फोन, 2198 एक्टिवेटेड सिम कार्ड, 19 डेबिट कार्ड, तीन रेंट एग्रीमेंट संबंधी दस्तावेज, तीन वेबसाइट संबंधी दस्तावेज, एक रजिस्टर, एक राउटर मॉडेम, इंटरनेट कन्वर्टर और एक बलेनो कार बरामद की है। पुलिस अब यह पता लगा रही है कि इनकी और कितनी वेबसाइट हैं। अभी तक की जांच में पुलिस इनकी 12 वेबसाइट का पता लगा चुकी है। लोगों को ठगने के बाद ये वेबसाइट बंद कर देते थे। यह काम इन्होंने अगस्त 2018 से शुरू किया. वर्तमान में ये ग्रेटवे फाइनेंस के नाम पर फर्जी वेबसाइट चला रहे थे। इससे पहले ये 11 कंपनी चला कर बंद कर चुके हैं।

रिपोर्ट- एस० के० शर्मा (उप सं० क्राइम)

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.
image image image image image image image

Image   Image   Image   Image  

--- Top Headlines ---