सिकन्दरपुर (बलिया) गुरुवार की शाम जम्मू कश्मीर के पुलवामा में हुए आत्मघाती हमले में जवानों के शहीद होने की खबर जैसे ही लोगों को लगी लोगों में भारी आक्रोश देखा गया जब इस बाबत पूर्व में हुए शहीद जवानों के परिजनों से बात की गई तो उनकी प्रतिक्रिया कुछ इस तरह सामने आई। कस्बा के डोमनपुरा निवासी शहीद मेजर जमाल की केवल 4 बेटियां थी जिसमें दूसरी नंबर की बेटी शब्बो ने कहा कि मेरे पिताजी सीआरपीएफ के 21 वीं बटालियन में श्रीनगर में तैनात थे वह ड्यूटी के दौरान ही शहीद हो गए वह हमेशा देश सेवा की प्रेरणा हम लोगों को देते रहते थे हम लोग चार बहने थी लेकिन कभी भी वह यह कहते थे कि मुझे फक्र है कि मैं ऐसे जगह तैनात हूं जहां देश की सेवा करने का मौका मिला है जब कभी मेरी अम्मी नूरजहां उनसे यह कहती थी कि वहां बहुत घटनाएं हो रही हैं तो वह हमेशा यह कहते थे की बहादुर वह होता है जो कभी कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी समझौता नहीं करता है आज हमारे जैसे हजारों सैनिक श्रीनगर में तैनात हैं और देश की रक्षा कर रहे है। यह सुनकर हम लोगों का कलेजा फक्र से ऊंचा उठ जाता था लेकिन जब सन 2000 में उनके शहीद होने की खबर जैसे ही मिली थोड़ा मेरा परिवार विचलित तो जरूर हुआ लेकिन सिर फक्र से सिर ऊंचा भी हुआ की जो पापा कहते थे वह अंतिम समय तक किए वहां आतंकवादियों से लड़ते हुए तीन आतंकवादियों को मारने के बाद अपने तीन साथियों के साथ शहीद हुए। शब्बो ने कहा कि अब समय आ गया है कि पाकिस्तान को और उनके आतंकवादियों को उनके असली ठिकानों पर पहुंचा दिया जाए ताकि देश के आवाम को शांति मिल सके।
रिपोर्ट- विनोद कुमार गुप्ता

