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यूपी का एक ऐसा धाकड़ DM जिसने गरीबों के हक पर डाका डालने वाले ग्राम प्रधान और सचिव के लिए तय कर दी ये अनूठी सजा, जाने पूरा मामला

"रामपुर के जिलाधिकारी ने तो प्रधान और सचिव को अनूठे अंदाज में दंडित करना किया शुरू, डीएम की इस पहल पर जिले के संभ्रांत लोग भी आए आगें, अब जन भागीदार से गरीबों का घर बनना हुआ शुरू"

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रामपुर (ब्यूरो, उत्तर प्रदेश)। इनसे मिलिए, ये हैं रामपुर के जिलाधिकारी रविंद्र कुमार मांदड़, इन्होंने गरीबों के हक पर डाका डालने वाले ग्राम प्रधान और सचिव की अनूठी सजा तय कर दी है। डीएम ऐसे गरीबों के यहां खुद जाते हैं, उनके घर के लिए भूमि पूजन कराते हैं और फिर ग्राम प्रधान व सचिव के निजी खर्च से संबंधित गरीब का घर बनवाते हैं। जिलाधिकारी ने तो प्रधान और सचिव को अनूठे अंदाज में दंडित करना शुरू किया लेकिन, डीएम की इस पहल पर जिले के संभ्रांत लोग भी आगे आए और अब जन भागीदार से गरीबों के घर बनना शुरू हो गया। मूल रूप से राजस्थान के दौसा जिले के लालसोट के रहने वाले रविंद्र मांदड़ 2013 बैच के आईएएस अफसर हैं। मार्च 2021 में उन्हें डीएम के रूप में पहली पोस्टिंग रामपुर में मिली। लिहाजा, यहां वह हमेशा ही कुछ नया और जनोपयोगी करने का काम करते हैं। फिर चाहें वह जल संरक्षण हो, कुपोषण से जंग को नवाचार हो या फिर कुछ और। उन्होंने बीते पांच माह से नई मुहिम शुरू की है, जिसके तहत वह गरीबों के हक पर डाका डालने वाले ग्राम प्रधानों और सचिवों को अनूठे अंदाज में दंडित कर रहे हैं। बस, उन्हें पता चल जाए कि किसी ग्राम प्रधान और सचिव ने मिलकर किसी गरीब को पात्र होने के बाद भी आवासीय योजना से वंचित कर दिया, फिर क्या, वह सीधे उस गरीब के घर पहुंच जाते हैं और उसका भूमि पूजन खुद कराते हैं।

अपने सामने बुनियाद रखवाते हैं और संबंधित एसडीएम की निगरानी में उसका घर बनवाते हैं, जिसका खर्च संबंधित प्रधान और सचिव अपने निजी पैसे से करता है। अब अब तक ऐसे दस आवासों का भूमि पूजन करा चुके हैं। दरअसल, डीएम एक दिन अपने आफिस में बैठे हुए थे। मिलक क्षेत्र के भैसोड़ी गांव निवासी महिला भोली पति सुक्कन के साथ जिलाधिकारी से मिली और बताया कि उसका नाम प्रधानमंत्री आवास योजना की सूची में था। लेकिन, प्रधान और सचिव ने मिलकर नाम कटवा दिया। जिलाधिकारी ने मामले को संज्ञान लेते हुए जांच कराई। जांच में पाया कि ग्राम पंचायत की लापरवाही की वजह से भोली को आवास योजना का लाभ नहीं मिल पाया। जिलाधिकारी ने प्रधान और सचिव को बुलाकर उन्हें फटकार लगाई। दोनों ने स्वीकार किया कि वे निजी आर्थिक संसाधनों से भोली का घर बनवाने की जिम्मेदारी लेंगे, बस यहीं से यह मुहिम शुरू हो गई। जिलाधिकारी का मानना है कि जो लोग जरूरतमंद हैं और आर्थिक रुप से कमजोर हैं। उन्हें विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत अनिवार्य रूप से लाभ प्राप्त हो। ताकि उनके जीवन स्तर में सुधार हो सके। योजनाओं को प्रभावी बनाने के दौरान स्थानीय स्तर पर कर्मचारियों की लापरवाही से यदि लाभार्थी को कोई समस्या होती है। तो उनकी लापरवाही का खामियाजा लाभार्थी को नहीं बल्कि उस कर्मचारी को भुगतना चाहिए।

रिपोर्ट- रामपुर ब्यूरो डेस्क

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