"प्रधानों की सर्वाधिक रहीं 65 आपत्तियां, बीडीसी की पांच और जिला पंचायत सदस्य की कुल दो शिकायतें पंचायती राज विभाग में कराई गईं हैं दर्ज, ज्यादातर शिकायतें रही सामान्य"
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प्रयागराज (ब्यूरो, उत्तर प्रदेश)। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के आरक्षण की अंतिम सूची जारी होने के साथ ही आरोप भी लगने लगे और आपत्तियां भी आने लगीं हैं। पहले ही दिन कुल 72 आपत्तियां पंचायती राज विभाग में दर्ज कराई गईं। जिसमें प्रधानों की सर्वाधिक 65 आपत्तियां रहीं, बीडीसी की पांच और जिला पंचायत सदस्य की कुल दो शिकायतें पंचायती राज विभाग में दर्ज कराई गईं हैं। ज्यादातर शिकायतें तो सामान्य रहीं हैं। जिसमें ब्लॉक बदलने की शिकायतें ज्यादा रहीं हैं। वहीं, विकास भवन आए कुछ लोगों ने आरोप लगाया कि 1995 का डेटा विभाग के पास नहीं है और बिना डेटा ही आरक्षण जारी कर दिया गया है। जबकि आरक्षण का जो जीओ आया है उसमें स्पष्ट लिखा है कि 1995 से 2015 तक के आरक्षण को आधार बनाकर ही आरक्षण जारी किया जाए। जो ग्राम सभा अब तक आरक्षण की सूची में नहीं रही है उसे नए आरक्षण के तहत आबादी के आधार पर लाया जाए। इस बारे में डीपीआरओ रेनू श्रीवास्तव ने बताया कि ऐसे लोग कार्यालय आकर अपनी आपत्ति दें, आरक्षण की जो गाइडलाइन शासन ने दी है उसके अनुसार ही आरक्षण लागू किया गया है।
हर वर्ष के आरक्षण को आधार बनाया गया है। जिसके बाद डेटा जारी किया गया है। फिर भी आपत्तियां आ रहीं हैं, जिसका निस्तारण भी किया जाएगा। इसीलिए यह अनंतिम सूची जारी की गई है। जब अंतिम सूची जारी होगी तो उसमें सुधार किया जा सकता है। मांडा विकास खंड के मेवालाल सिंह ने आरोप लगाया कि ऊंटी गांव में 1995 से 2010 तक ग्राम सभा मसौली थी। 2015 में मसौली को विभाजित कर ग्राम संभा ऊंटी बनाई गई। मसौली एससी के लिए आरक्षित थी और ऊंटी भी एससी में ही रही। इस गांव को महज तीन फीसदी अनुसूचित जाति की आबादी होने के बाद भी आरक्षित रखा गया है। ऐसे में उन्होंने डीपीआरओ से मांग की है कि सीट अनारक्षित रखी जाए। सोरांव के भी एक प्रकरण का उन्होंने उदाहरण दिया है। डीपीआरओ ने बताया कि तमाम आपत्तियां आ रही हैं। आपत्तियां मिलने के बाद एक बार फिर मिलान किया जाएगा। अगर कहीं कोई गलती हुई होगी तो सुधार किया जाएगा।
रिपोर्ट- प्रयागराज डेस्क