"निर्भया केस के दोषियों का केस लड़ने वाले एपी सिंह ने हाथरस कांड को बताया ऑनर किलिंग, अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा की तरफ से इकट्ठी कर दी जाएगी एपी सिंह की फीस"
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हाथरस (ब्यूरो, उत्तर प्रदेश) दिल्ली के निर्भया कांड के दोषियों का केस लड़ने वाले वकील एपी सिंह शनिवार को क्षत्रिय महासभा के पदाधिकारियों के साथ हाथरस के बूलगढ़ी गांव में आरोपियों के घर पहुंचे। एपी सिंह ने हाथरस कांड को ऑनर किलिंग बताते हुए कहा कि वह चाहते हैं कि इस मामले में सभी का नार्को टेस्ट हो जाए। उन्होंने कहा कि हाथरस कांड में आरोपी बनाए गए चारों लड़के नार्को पॉलीग्राफ के साथ ही हर तरह के टेस्ट के लिए तैयार हैं। वकील एपी सिंह से पत्रकारों ने पूछा कि क्या वह आरोपियों का मुकदमा लड़ने के लिए फीस लेंगे या फिर नि:शुल्क पैरवी करेंगे? इस सवाल को एपी सिंह पहले तो टालने की कोशिश की फिर कहा कि महासभा उनकी फीस देगी। गौरतलब है कि निर्भया कांड में निर्भया की ओर से वकील रहीं सीमा कुशवाहा हाथरस कांड की पीड़िता का मुकदमा नि:शुल्क लड़ने का ऐलान कर चुकी हैं।
एपी सिंह ने आरोप लगाया हाथरस कांड का राजनीतिकरण किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि घटना के एक हफ्ते के बाद इस मामले में पीड़िता के परिवार से नेताओं के मिलने के बाद रेप की एफआईआर दर्ज करवाई गई। कहा कि पीड़िता और उसकी मां के शुरुआती बयानों में भी बलात्कार की बात कहीं नहीं कही गई। वकील एपी सिंह से हाथरस केस के अभियुक्तों का मुकदमा लड़ने का अनुरोध क्षत्रिय महासभा ने किया था। पूर्व केन्द्रीय मंत्री मानवेन्द्र सिंह ने भी कुछ दिन पहले एक पत्र जारी कर इसकी जानकारी दी थी। इसके साथ ही आगे कहा गया है कि एपी सिंह की फीस अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा की तरफ से इकट्ठी कर दी जाएगी। पत्र में आगे कहा गया है कि हाथरस केस में एससी-एसटी कानून का पूर्ण रूप से दुरुपयोग कर सवर्ण समाज खासकर राजपूत को बदनाम किया जा रहा है। इसलिए हाथरस केस में मामले को दूध का दूध और पानी का पानी करने के लिए एपी सिंह को वकील नियुक्त किया जा रहा है।
गौरतलब है कि 14 सितबंर को 19 वर्षीय दलित युवती के साथ खौफनाक सलूक किया गया था। उसकी हालत बिगड़ते देख दिल्ली के सफदरजंग में इलाज के लिए रेफर किया गया। लेकिन, उसने वहां पर इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। केंद्र ने महिलाओं की सुरक्षा और उनके खिलाफ होने वाले अपराधों से निपटने के लिए राज्यों को नये सिरे से परामर्श जारी किया है और कहा कि नियमों के अनुपालन में पुलिस की असफलता से ठीक ढंग से न्याय नहीं मिल पाता। उत्तर प्रदेश के हाथरस में महिला के साथ कथित सामूहिक दुष्कर्म और हत्या को लेकर देशभर में फूटे गुस्से के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने तीन पन्नों का विस्तृत परामर्श जारी किया है।
गृह मंत्रालय ने कहा कि सीआरपीसी के तहत संज्ञेय अपराधों में अनिवार्य रूप से प्राथमिकी दर्ज होनी चाहिए। परामर्श में कहा गया कि महिला के साथ यौन उत्पीड़न सहित अन्य संज्ञेय अपराध संबंधित पुलिस थाने के न्यायाधिकारक्षेत्र से बाहर भी होता है तो कानून पुलिस को 'शून्य प्राथमिकी' और प्राथमिकी दर्ज करने का अधिकार देता है। गृह मंत्रालय ने कहा कि सख्त कानूनी प्रावधानों और भरोसा बहाल करने के अन्य कदम उठाए जाने के बावजूद अगर पुलिस अनिवार्य प्रक्रिया का अनुपालन करने में असफल होती है तो देश की फौजदारी न्याय प्रणाली में उचित न्याय देने में बाधा उत्पन्न होती है। राज्यों को जारी परमार्श में कहा गया, ''ऐसी खामी का पता चलने पर उसकी जांच कर और तत्काल संबंधित जिम्मेदार अधिकारी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।
रिपोर्ट- हाथरस डेस्क