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यूपी के बलिया मे "विश्व धुम्रपान निषेध दिवस" पर इस संस्था ने नशा उन्मूलन के प्रति युवाओं को किया जागरूक



रतसर (बलिया) नशा भले ही शान और लत के लिए किया जाता हो, पर यह जिंदगी की बेवक्त आने वाली शाम का भी मुख्य कारण है, जो कब जीवन में अंधेरा कर जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता। आप इसका मजा भले ही दिनभर के कुछ सेकंड के लिए लेते हैं, लेकिन यह मजा, कब आपके लिए जिंदगी भर की सजा बन जाए, आप अंदाजा भी नहीं लगा सकते।आज विश्व धूम्रपान निषेध दिवस है। इस मौके पर जनऊबाबा साहित्यिक संस्था "निर्झर" के तत्वाधान में रविवार को जनऊपुर गांव में परशुराम युवा मंच के सदस्यों ने सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए घर-घर जाकर नशा उन्मूलन के प्रति युवाओं को जागरूक करने के लिए पंपलेट व हैन्डविल आदि वितरण किया। 



इस वर्ष कोरोना संक्रमण के कारण  जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन ना कर मंच के सदस्यों ने घर घर जाकर युवाओं को नशा उन्मूलन के लिए प्रेरित किया। साथ ही सोशल मिडिया, फेसबुक लाइव आदि के माध्यम से भी धुम्रपान के खतरों के बारे में जागरुक किया गया। विश्व तम्बाकू निषेध दिवस के अवसर पर युवा मंच के अध्यक्ष सक्षम पाण्डेय "रिशु '' ने कहा कि हर साल किसी न किसी थीम के साथ मनाया जाता है इस साल युवाओं को इण्डस्ट्री के हथकण्डे से बचाना और उन्हें तम्बाकू और निकोटिन के सेवन से रोकना है। उन्होनें बताया कि बीड़ी, सिगरेट व अन्य तम्बाकू उत्पादों का सेवन करने वाले लोग न केवल अपने जीवन से खिलवाड़ करते है बल्कि घर परिवार के जमा- पूंजी को भी इलाज पर फूंक देते है।




इस पर काबू पाने के लिए सरकार स्वास्थ्य महकमे के साथ ही विभिन्न संस्थाएं भी लोगों को जागरूक करने में जुटी है। साहित्यिक संस्था निर्झर के अध्यक्ष धनेश पाण्डेय ने बताया कि उत्तर-प्रदेश में तम्बाकू का सेवन करने वालों का आंकड़ा हर साल बढ़ ही रहा है। आज से दस साल पहले करीब 33.9 फीसदी लोग गुटखा एवं अन्य रूप से तम्बाकू का सेवन कर रहे थे जो कि बढकर अब 35.5 फीसद पर पहुंच गया है। हालांकि धूम्रपान करने वाले लोगों में 1.5 फीसदी की कमी आई है वही खैनी व धुआं तथा अन्य तम्बाकू उत्पादों का सेवन करने वालों की तादाद में 4.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। जागरुकता कार्यक्रम में अमृत, शुभम, नवनीत, विशाल, विनीत, निशान्त, निरंजन, सुधांशु, रितेश, राज, निलेश, राहुल, लक्ष्मण, मनोज आदि युवक मौजूद रहे।

रिपोर्ट- डॉ ए० के० पाण्डे

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