बलिया (ब्यूरो) ब्रह्मा के पश्चात इस भूतल पर मानव को वितरित करने वाली नारी का स्थान सर्वोपरि है। नारी- मां, बहन, पुत्री एवं पत्नी के रूपों में रहती है। मानव का समाज से संबंध स्थापित करने वाली नारी होती है। किंतु दुर्भाग्य है कि इस जगत धात्री को समुचित सम्मान ना देकर उसने प्रारंभ से ही अपने वशीभूत रखने का प्रयत्न किया है।नारी के रूप को देवी का प्रतीक मानते है । इसका सम्मान पूरे संसार को बदलने की क्षमता रखता है। नारी को माँ-दुर्गा, माँ सरस्वती ओर माँ-लक्ष्मी के रूप में पूजा जाता है।आज पूरे विश्व में 8 मार्च का दिन महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है। नारी का धरती पर सबसे सम्मानीय रूप है माँ का, माँ जिसे ईश्वर से भी बढ़कर माना जाता है तो माँ का सम्मान को कम नहीं होने देना चाहिए। माना आज की संतान अपने मां को इतना महत्व नहीं देती जो कि गलत है।
“यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवता।”
मनुस्मृति के अनुसार- जहां स्त्री जाति का आदर सम्मान होता है उनकी आवश्यकता और अपेक्षाओं की पूर्ति होती है उस स्थान, समाज ,परिवार पर देवता गण प्रसन्न रहते हैं। जहां ऐसा नहीं होता और उनके प्रति तिरस्कार का व्यवहार किया जाता है वहां देव कृपा नहीं रहती है और वहां संपन्न किए गए कार्य सफल नहीं होते।
नारी उस वृक्ष की भांति है जो विषम परिस्थितियों में भी तटस्थ रहते हुए राहगीरों को छाया प्रदान करता है, नारी की कोमलता एवं सहनशिलता को कई बार पुरुष ने उसकी निर्बलता मान लिया और इसलिए उसे अबला कहा किन्तु वो अबला नहीं है वो तो सबला है, पुरुष वर्ग शायद ये नहीं जानते की उसकी इसी कोमलता एवं सहनशीलता में ही मानव जीवन का अस्तित्व संभव है, क्या माँ के सिवाय संसार में ऐसी कोई हस्ती है जो उसी वात्सल्य और प्रेम से शिशु का लानन-पालन कर सके जैसे की माँ करती है, संसार में चेतना के अविर्भाव का श्रेय नारी को ही जाता है, इस में किंचित मात्रा भी संदेह नहीं है कि नारी ही वो शक्ति है जो समाज का पोषण से लेकर संवर्धन तक करती है।
वर्तमान समय में नारियाँ एक सुयोग्य गृहणी होने के साथ- साथ राजनीति, धर्म, कानून, न्याय सभी क्षेत्र में पुरुष की सहायक और प्रेरक भी हैं, आज की नारी जाग्रत एवं सक्रिय हो गयी है । वह अपने अंदर निहित शक्तियों को जानने लगी है, जिससे आधुनिक नारी का समाज में न केवल सम्मान अपितु प्रतिष्ठा भी बढ़ी है, व्यवसाय एवं व्यापार जैसे पुरुष एकाधिकार वाले क्षेत्र में जिस प्रकार महिलाओं ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है वो काबिले तारीफ है, इस परिपेक्ष्य में इंदिरा नूई, चंदा कोच्चर, चित्रा रामाकृष्णन, अनीता कपूर, अरुंधति भट्टाचार्या, आशु सुयश आदि के नाम प्रसिद्ध हैं।
रिपोर्ट- संवाददाता डॉ ए० के० पाण्डेय