"आखिर क्यों मुसलमान समाजवादी पार्टी का छोड़ रहे हैं साथ, इस टूट का फायदा किसे मिलेगा, क्या जयंत चौधरी नया समीकर बनाने में कामयाब होंगे या शिवपाल यादव उत्तर प्रदेश की राजनीति को देंगे नया विकल्प, सपा का साथ छोड़ते हैं मुस्लिम तो किसे होगा फायदा"
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लखनऊ (ब्यूरो, उत्तर प्रदेश)। समाजवादी पार्टी में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। एक के बाद एक सपा के मुस्लिम नेताओं के तीखे बयान सामने आ रहे हैं। कई मुस्लिम नेता पार्टी से इस्तीफा दे चुके हैं। आजम खान के मीडिया प्रभारी से लेकर सपा सांसद शफीकुर्रहमान बर्क तक अखिलेश के खिलाफ बयान दे चुके हैं। उधर, शिवपाल सिंह यादव भी आजम खान से मुलाकात करने के लिए सीतापुर जेल पहुंचे। ऐसे में सवाल उठने लगा है कि आखिर क्यों मुसलमान समाजवादी पार्टी का साथ छोड़ रहे हैं? इस टूट का फायदा किसे मिलेगा? क्या जयंत चौधरी नया समीकर बनाने में कामयाब होंगे या शिवपाल यादव उत्तर प्रदेश की राजनीति को नया विकल्प देंगे। पहले जान लीजिए सपा के दिग्गज नेताओं ने क्या-क्या बयान दिए और किन्होंने इस्तीफा दे दिया। पहले नंबर पर समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता आजम खान के मीडिया प्रभारी फसाहत अली खां ने 10 अप्रैल को बयान दिया। रामपुर में उन्होंने कहा कि जेल में बंद आजम खां के जेल से बाहर न आने की वजह से हम लोग सियासी रूप से यतीम हो गए हैं।
हम कहां जाएंगे, किससे कहेंगे और किसको अपना गम बताएं। हमारे साथ तो वो समाजवादी पार्टी भी नहीं है, जिसके लिए हमने अपने खून का एक-एक कतरा बहा दिया। हमारे नेता मोहम्मद आजम खां ने अपनी जिंदगी सपा को दे दी, लेकिन सपा ने आजम खां के लिए कुछ नहीं किया। हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष को हमारे कपड़ों से बदबू आती है। दूसरे नंबर पर संभल से समाजवादी पार्टी के सांसद डॉ. शफीकुर्रहमान बर्क ने अपनी ही पार्टी पर हमला बोला। उन्होंने मीडिया से कहा कि भाजपा के कार्यों से वह संतुष्ट नहीं हैं। भाजपा सरकार मुसलमानों के हित में काम नहीं कर रही है। भाजपा को छोड़िए समाजवादी पार्टी ही मुसलमानों के हितों में काम नहीं कर रही। तीसरे नंबर पर रालोद प्रदेश अध्यक्ष रहे डॉ. मसूद ने चुनाव नतीजे आने के कुछ दिनों बाद ही अपना इस्तीफा पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष को भेज दिया। इसमें उन्होंने रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी के साथ सपा मुखिया अखिलेश यादव पर जमकर निशाना साधा था। अखिलेश को तानाशाह तक कह दिया था। सपा पर टिकट बेचने का आरोप भी लगाया था।
चौथें नंबर पर सहारनपुर के सपा नेता सिकंदर अली ने पार्टी छोड़ दी। पार्टी छोड़ते हुए सिकंदर ने कहा कि हमने दो दशक तक सपा में काम किया है। सपा अध्यक्ष कायर की तरह पीठ दिखाने का काम कर रहे हैं। मुस्लिमों की उपेक्षा की जा रही है। सिकंदर ने कहा कि सपा के बड़े-बड़े मुस्लिम नेता जेलों में बंद हैं लेकिन अखिलेश यादव की चुप्पी पीड़ा पहुंचाने वाली है। पांचवे नंबर पर मुलायम सिंह यूथ बिग्रेड सहारनपुर के जिला उपाध्यक्ष अदनान चौधरी ने भी अखिलेश यादव पर आरोप लगाते हुए पार्टी से इस्तीफा दे दिया। अदनान चौधरी का कहना है कि मुस्लिमों पर हो रहे अत्याचार पर अखिलेश यादव की चोंच बिल्कुल बंद है। छठवें नंबर पर सुल्तानपुर के नगर अध्यक्ष कासिम राईन ने भी अपने सभी पदों से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव को मुसलमानों पर होने वाले अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाने में कोई रुचि नहीं है। आजम खां का पूरा परिवार जेल में डाल दिया गया पर अखिलेश यादव नहीं बोले। नाहिद हसन को जेल में डाल दिया गया और शहजिल इस्लाम का पेट्रोल पंप गिरा दिया गया लेकिन सपा अध्यक्ष ने इस पर आवाज नहीं उठाई।
सातवें नंबर पर सपा सरकार में दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री रहे इरशाद खान ने 16 अप्रैल को पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव पर मुसलमानों की अनदेखी करने का आरोप लगाया। इरशाद ने कहा कि मुसलमान हमेशा से समाजवादी पार्टी के साथ रहा है लेकिन उसे सत्ता और संगठन में भागीदारी नहीं मिल पाई। आठवें नंबर पर समाजवादी पार्टी युवजनसभा बिजनौर के नूरपुर ब्लॉक अध्यक्ष मोहम्मद हमजा शेख भी पार्टी छोड़ चुके हैं। हमजा शेख ने कहा, अखिलेश यादव मुस्लिमों से कतराते हैं। वह मुसलमानों पर हो रहे जुल्मों को देखकर भी चुप रहते हैं। मुस्लिमों को लेकर कोई आंदोलन नहीं करते। सिर्फ ट्विटर पर ही राजनीति करते हैं। आइए जानें वो तीन कारण जिससे मुसलमानों में सपा के प्रति है नाराजगी। पहला कारण मुस्लिम वर्ग का कहना है कि मुस्लिमों को टारगेट किया जा रहा है। उन पर हो रही कार्रवाई के खिलाफ अखिलेश कोई आवाज नहीं उठा रहे हैं। यहां तक की एक बार भी इसको लेकर अखिलेश ने बयान नहीं दिया। दूसरा कारण कुछ एक्सपर्ट कहते हैं कि मुसलमान चाहते थे कि विधानसभा में आजम खान को कम से कम नेता प्रतिपक्ष बनाया जाए।
मुसलमानों का कहना है कि अगर चुनाव जीत जाते तो अखिलेश मुख्यमंत्री बनते, लेकिन हार के बाद तो कम से कम आजम को उचित सम्मान दिया जाता। मुस्लिम नेताओं की नाराजगी के एक बड़ी वजह यह भी है। तीसरा कारण पार्टी छोड़ने वाले ज्यादातर नेताओं का कहना है कि चुनाव में मुस्लिमों ने एकजुट होकर समाजवादी पार्टी के लिए वोट किया, लेकिन सपा के यादव वोटर्स ही पूरी तरह से उनके साथ नहीं आए। इसके चलते चुनाव में हार मिली। इसके बाद भी मुस्लिमों से जुड़े मुद्दों पर अखिलेश का नहीं बोलना नाराजगी को बढ़ा रहा है। आजम खान की नाराजगी की खबरें सामने आने बाद से ही अलग-अलग दल उन्हें अपनी पार्टी में शामिल होने का ऑफर दे चुके हैं। सबसे पहले एआईएमआईएम ने उन्हे प्रदेश अध्यक्ष बनाने का ऑफर दिया। फिर कांग्रेस ने उन्हें राष्ट्रीय नेता बनाने की बात कही। इसी बीच रालोद प्रमुख जयंत चौधरी भी आजम के परिवार से मिलने रामपुर पहुंचे। गुरुवार को अखिलेश से नाराज चले शिवपाल यादव ने भी कह दिया कि वो किसी भी दिन जेल में बंद आजम खान से मिलने जा सकते हैं। अब कयास लगाए जा रहे हैं कि रालोद के मुखिया जयंत चौधरी नया समीकरण बनाने में जुट गए हैं।
आजम के परिवार से मुलाकात से पहले जयंत और भीम आर्मी के मुखिया चंद्रशेखर आजाद के साथ राजस्थान के पाली भी गए थे। यहां जितेन्द्र मेघवाल नाम के एक शख्स की 15 मार्च 2022 को हत्या कर दी गई थी। जितेंद्र दलित वर्ग से आते थे। जयंत और चंद्रशेखर जितेंद्र के घरवालों से मिलने गए थे। जयंत के इस कदम के बाद चर्चा है कि वो खुद को पश्चिमी यूपी में मजबूत कर रहे हैं। वहीं, शिवपाल के गुरुवार के एलान के बाद इस बात के भी कयास लगाए जा रहे हैं कि भाजपा से मनमुताबिक प्रतिक्रिया नहीं मिलने पर शिवपाल नई संभावनाएं तलाश रहे हैं। ऐसे में आने वाले दिनों में वो उत्तर प्रदेश में नया राजनीतिक विकल्प खड़ा करने की भी कोशिश कर सकते हैं। इसके लिए शिवपाल शुक्रवार को आजम खान से मुलाकात करने के लिए सीतापुर जेल पहुंचे। बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती पहले से ही मुसलमानों पर डोरे डाल रहीं हैं। वह खुलकर कह चुकी हैं कि दलित-मुसलमान गठजोड़ से ही भाजपा को हराया जा सकता है। ऐसे में काफी संभावना है कि मायावती को भी मुसलमान साथ दे दें। इसके अलावा कांग्रेस शुरू से ही मुसलमानों के साथ खड़े रहने का दावा करती रही है।
रिपोर्ट- लखनऊ डेस्क